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Showing posts with the label 18वी सदी के मध्य से 19वी सदी के मध्य तक

औद्योगिक केंद्रण तथा जैबात्सु

औद्योगिक केंद्रण तथा जैबात्सु अंतर्यद्ध वर्षों के दौरान जापान में औद्योगिक एकाधिकार में काफी वृद्धि हुई। एकाधिकार से तात्पर्य उस स्थिति से है जबकि किसी विशेष उपभोग की वस्तु के उत्पादन में कुछ ही उत्पादनकर्ता शामिल हों। प्रतियोगिता के अभाव में कई बार उत्पादित वस्त के दाम बहुत अधिक होते हैं। इन वर्षों के दौरान जैबात्सू की भूमिका औद्योगिक केंद्रण की थी। जैबात्सू से अभिप्राय विशाल व्यापारिक घरानों से है, लेकिन इन व्यापारिक घरानों के कार्य क्षेत्र एवं स्वार्थ अलग-अलग थे। इन वर्षों में जापान में मित्सुई, मित्सुबिशी, सुमितोमो, तथा यासूदा जैसे चार बड़े जैवात्सू थे।  1920 के दशक की कुछ वित्तीय मुश्किलों के कारण सरकार ने कुछ निश्चित उपायों को लागु किया। इसका परिणाम यह हुआ कि बैंकों की संख्या में गिरावट आई। 1918 में बैंकों की संख्या 2285 थी वह 1930 में 1913 रह गई। 1928 में मित्सुई, मित्सुबिशी, दादू इची, सुमी तोमो तथा यासूदा जैसी "बड़ी पांच" बैंकों के पास सभी सामान्य बैंकों की 34 प्रतिशत पंजी जमा थी। इन पांच बड़े बैंकों में से चार पर जैबात्सू का नियंत्रण था। सुदृढ़ीकरण की प्रक

मैसूर और हैदराबाद राज्य निर्माण की प्रक्रिया

          Amazon books       MY YOUTUBE CHANNEL मैसूर मैसूर राज्य हैदराबाद के दक्षिण में था (देखिए मानचित्र)। 18वीं शताब्दी में, वोडयार से लेकर ल्तान तक, मैसूर के सभी शासकों को एक ओर तो मराठों के विस्तारवाद की चुनौती का मना करना पड़ा तो दूसरी ओर हैदराबाद और कर्नाटक के विस्तारवाद की चनौती से निपटना पटा और अंग्रेजो ने इस स्थिति का फायदा उठाया। 18वीं शताब्दी की जो जानी-मानी हस्तियाँ में से एक टीपू सुल्तान था जो अंग्रेजों की बढ़ती ताकत से टक्कर लेने वाला एक लोक नायक बन गया और अंग्रेज़ उसे सत्ता हथियाने की राह का कांटा मानते थे। मैसूर को विजय नगर साम्राज्य को वाइसरायों से बदल कर वोडयार वंश ने उसे एक स्वायत्तशासी राज्य बना दिया। अब मैसूर को दक्षिण भारत में एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने का तरदायित्व हैदरअली और उसके बेटे टीपू सुल्तान पर था। हैदर मामूली खानदान से था और उसके समय के उसके विरोधी अंग्रेज़ उसे अक्सर उपहारी (या, हड़प लेने वाला) कहते थेइस बात का असर बाद के इतिहासकारों में भी देखने को मिलता है। लेकिन वह उसी मायने में उपहारी था जिस मायने में मैसूर का वह प्रधान मंत्री या