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1833 का चार्टर एक्ट अधिनियम क्युं विफल हुआ ?

औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप ब्रिटेन सुती कपड़ो तथा अन्य  कारकानों के सामग्रियों के उत्पादक के रूप  में उभरा था। भारत जैसा विशाल देश अनेकानेक तैयार मालों के उपभोग एवं कच्चा माल जुटाने में समर्थ भा। ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के उपभोग लक्ष्यों के अधीन थी। उसकी प्रतिबंध नीतियां  स्वधेशी उद्योगों के विनाश की ओर प्रवृत्त हुई । बिटेन की नई औद्योगिक नीति का आधारभूत दर्शन "मुक्त व्यापार" बन चुका था। प्रतिद्वंद्वीयो तथा एकाधिकार से व्यापार को मुक्त करने की व्यापक जनाकांक्षा सामने आई। 1833 में चार्टर के नवीकरण वातावरण सुधारों के लिए उत्साह से ओत-प्रोत था। सुपरिचित सुधार अधिनियम के समय कंपनी के लिए और सम्राट द्वारा प्रशासन संभालने के लिए व्यापाक आंदोलन हुए | एक संसदीय जाँच पड़ताल भी म चलाई गई। चीन के साथ चाय की व्यापारिक इजारेचारी खत्म कर दी गई। कंपनी की अब केवल राजनीतिक भुमिका रह गई।  भारत को अब केवल कम्पनी को ऋण चुकाने थे! इसके साझेदारो के लिए 10.5 प्रतिशत प्रति बर्ष अंशदेय सनिश्चित कर दिया गया। व्यापारियों तथा संप्रभुआ की एकता अंतत: समाप्त कर की गई। | कंमनी क

1857 की क्रांति की विफलता का कारण

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अंग्रेजों ने 20 सितम्बर 1857 को दिल्ली पर कब्ज़ा किया! इससे पहले विद्रोहियों को कानपुर आगरा लखनऊ और कुछ अन्य जगहों पर मात खानी पड़ी! पर इन सब पराजयों से विद्रोहियों के जोश में कमी नहीं आई! लेकिन दिल्ली के पतन होते ही उन्हें गहरा आघात लगा! इससे अब स्पष्ट हो गया की अंग्रेजों का ध्यान सबसे अधिक दिल्ली पर क्यों केंद्रित था! और इसके लिए उन्हें काफी जान और माल की हानि उठानी पड़ी! बहादुर शाहको दिल्ली में कैद कर लिया गया और उसके राजकुमारों को पकड़कर क़त्ल कर दिया गया! एक के बाद एक सभी विद्रोही नेताओं की हार होती गई! नाना साहेब कानपुर में पराजित हुए और उसके बाद 1857 के शुरू में नेपाल भाग गए! उनके बारे में उसके बाद कुछ पता नहीं चला! तात्या टोपे मध्य भारत के जंगलों में भाग गए! वहीँ से गुरिल्ला युद्ध जारी रखा! अप्रेल 1857 में उनके एक जमींदार मित्र ने धोखे से उन्हें सुप्तावस्था में गिरफ्तार करवा दिया! उन पर शीघ्र मुकदमा चलाकर 15 अप्रेल 1858 को उन्हें फांसी दे दी गई! झाँसी की रानी 17 जून 1858 को लड़ाई के मैदान में मारी गई! 1859 तक कुंवर सिंह बख्त खाँ बरेली के खान बहादुर खान मौलवी अहमदुल्ला सभी मर