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हड़प्पा-सभ्यता मे विनिमय व्यवस्था कैसे थी ? हड़प्पा-सभ्यता के लोगों ने भारतीय उपमहाद्वीपों के भीतर और बहार अंतरछेत्रीय व्यापार का एक बृहद तंत्र स्थापित किया था!

हड़प्पा-सभ्यता के लोगों ने भारतीय उपमहाद्वीपों के भीतर और बहार अंतरछेत्रीय व्यापार का एक बृहद तंत्र स्थापित किया था! लेकिन हमें यह मालूम नहीं था की हड़प्पा-सभ्यता और अन्य छेत्रो के बिच किस प्रकार की विनिमय व्यवस्था प्रचलित थी! इतने बद्र छेत्र के बिच आदान-प्रदान की प्रक्रिया में विभिन्न समुदाय का शामिल होना अवश्यम्भावी है! उस समय देश के एक बड़े भू-भाग में शिकारी संग्रहणकर्ता रहते थे! कुछ छेत्रों में खानाबदोश चरवाहे थे! कुछ समुदायों ने कृषि उत्पादन शुरू कर दिया था! इनकी तुलना में हड़प्पा-सभयता अधिक विकसित थी!  हड़प्पा-सभ्याता के लोग अधिक शिकारी संग्रहणकर्ताओं या किसी और समुदाय के छेत्रों से खनिज पदार्थ प्राप्त करने के लिए क्या तरीके अपनाते थे?  हड़प्पा-सहायता के लोगों ने कुछ ऐसे छेत्रों में अपनी बस्तियां बसाई थी! संभवतया हड़प्पा के लोगों से भिन्न समुदाय हड़प्पा-सभयता के लोगों से किम्मति वस्तुएं प्राप्त करते थे! परन्तु विनिमय एककार्यकलाप नहीं था! बल्कि यहीं समुदायों के मौसमी प्रवास या किसी एक पर जगह पर एकत्रित होने पर निर्भर था! हड़प्पा सभ्यता के व्यापारी उन स्थानों पर जाते थे जहां ये समुदाय मौस

हड़प्पा कालीन नगरों के बिच विनिमय पद्धति कैसी थी? और हडप्प-कालीन विनिमय पद्धति को कैसे नियंत्रित करते थे ?

हड़प्पा-सभ्यता के लोगों ने आपसी व्यापार और विनिमय को नियंत्रित करने के लिए प्रयास किए! दूर फैली हुई हड़प्पा कालीन बस्तियों में भी नाप और तौल की व्यवस्थाओं में एकरूपता थी! तौल निम्न मुल्यांकन में द्विचर प्रणाली के अनुसार है- 1,2,4,8 से 64 तक फिर 150 तक और फिर 16 से गुना होने वाले दशमलव 320,640,1600,3200 आदि ताक! चकमकी पत्थर पत्थर आदि से बनते है साधारणतया घनाभाकार होते है! लम्बाई 37.6CM की एक फुट की एकै पर आधारित थी और एक हाथ की एकै लगभग 51.8 से 53.6cm तक तक होती थी! नाप और तौल की समरूपता व्यवस्था केन्दिर्य प्रशासन द्वारा हड़प्पा-सभ्यता के लोगों में आपसी तथा अन्य लोगों के साथ विनिमय को व्यवस्थित करने के प्रयास की और इशारा करती है! हड़प्पा-सभ्यता की बस्तियों में काफी संख्या में मुहरे और मुद्रांकन पाए गए है! ये मुहरे और मुद्रांकन दुरूदत्त करते है! इनका प्रयोग व्यापारिक गतिविधियों में होता था! इस बात की पुष्टि इस तथ्य से होता है की बहुत से मुद्रांकन में पीछे की और रस्सी और चटाई के निशाँ है! इनमे पाए गए जाने वाले चिन्हों से यह पता चलता है की मुद्रांकन तिजारती माल में ठप्पे की तरह प्रयोग में ला

हड़प्पा-सभयता की कलाकृतियां नृत्य की मुद्रा में नग्न स्त्री, लाल-पत्थर और सेलखड़ी, मुहरें,

हड़प्पा सभ्यता की खुदाई के दौरान मिली कलाकृतियों से यह जानकारी मिलती है की समाज किस तरह अपने वातावरण अपने परिवेश और परिस्थितियों से जुड़ता है या जुड़ने की कोशिस करता है! कलाकृतियाँ हमें यह भी बताती है की समाज प्राकृतिक मानव और ईश्वर के प्रति क्या विचार रखता है पूर्व आधुनिक समाजों के अधययन में कला और शिल्प को अलग-अलग करना कठिन काम है! परन्तु उन सब का अध्ययन एक साथ किया जायेगा! मोहनजोदड़ो की खुदाई में पाए गए हड़प्पा सभ्यत की सम्भवता सबसे प्रसीध कलाकृति है! नृत्य की मुद्रा में नग्न स्त्री की एक कांस्यमूर्ति! सर पीछे की ओर झुकाए आँखें झुकी हुई दाई भुजा कूल्हे पर टिकाए और भुजा निचे लटकी हुई दर्शाने वाली यह नृत्य की स्थिर मुद्रा में है! स्त्री प्रतिमा ने बहुत साड़ी चूड़ियां पहाँइ हुई है! औ उसके बालों को सुन्दर वेणी बानी हुई है! इस मूर्ति को हड़प्पा_कला का अद्वितीय नमूना मन जाता है! भैंसे और भेंड़ की छोटी-छोटी कांस्यकि दो पशुवो की मुद्राओं को सुन्दर ढंग से पेश किया गया है! खिलोनो के रूप में पाईगई कांस्य की दो गाड़िया भी बहुत आकर्षक एवं प्रशिद्ध हैं! हालांकि इनमे से एक हड़प्पा में और दूसरा 650km दू

हड़प्पा मोहनजोदड़ो और कालीबंगन में किले के छेत्रों में बड़ी विशाल इमारतें की जिनका प्रयोग विशेष कार्यों के लिए किया Ancient Indian history

हड़पा सभ्यता की कुछ विशाल इमारतें- हड़प्पा मोहनजोदड़ो और कालीबंगन में किले के छेत्रों में बड़ी विशाल इमारतें की जिनका प्रयोग विशेष कार्यों के लिए किया जाना होगा! यह तथ्य इस बात से स्पष्ट होता है की ये इमारते कच्ची ईटो से बने ऊँचे-ऊँचे चबूतरों पर कड़ी की गई थी! इनमे से एक ईमारत मोहनजोदड़ो का प्रसिद्ध 'विशाल स्नान कुंड' है! इस कुए में निचे जाने के लिए दोनों तरग से सीढियाँ है! कुंड के तल को डोमर से जलरोधी बनाया गया था! इसके लिए पानी पास ही एक एक कच्छ में बने बड़े कुए से आता था!पानी निकलने के लिए भी एक ढलवा नाली थी कुंड के चारो तारफ मंडप और कमरे बने हुए थे! विद्वानों का मत है की इस स्थान का उपयोग राजाओं या पुजारियों के धार्मिक स्नान के लिए किया जाता था!मोहनजोदड़ो के किले के टाइल में पाई गई एक और महत्वपूर्ण ईमारत है अन्नभंडार! इसमें ईटो से निर्मित सत्ताईस खंड है जिनमे प्रकाश के लिए आड़े-तिरछे रोशनदान बने हुए है! अन्नभंडार के लिए ऊपर पहुंचाया जाता था! हालांकि कुछ विद्वानों ने इस ईमारत को एना-भंडारण का स्थान मैंने का संदेह व्यक्त करते है! किन्तु इतना निश्चित है की इस इमारत का निर्माण किसी ख़ा

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का छेत्र हड़प्पा सभ्यता का केंद्र बिंदु रहा होगा hadappa sabhyata ka bhaugolik vishtaar ancient encyclopedia

    हड़प्पा सभ्यता का भौगोलिक विस्तार हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का छेत्र हड़प्पा सभ्यता का केंद्र बिंदु रहा होगा! क्योकि हड़प्पा सभ्यता की अधिकांश बस्तियां इसी छेत्र में है! इस पुरे छेत्र की भूमि समतल और सपाट है जो यह बताती है की यहां की जीवन-यापन की तरीके एक जैसे थे! हिमालय से पिघली बर्फ और मानसून की वर्षा से यहाँ आने वाली बाढ़ के श्वरूप का पता लगता है! इससे एक जैसी ही खेती और चरागाही के लिए संभावनाए पैदा हुई होंगी! सिंधु व्यवस्था के पश्चिम में काछी मैदान ईरानी सिमा-भूमि के अंतरवर्ती छेत्र में स्थित है! यह समतल कछारी हिमानी घाट जो बोलन दर्रे और मंचाल झील के निचले भाग में स्थित है! यह बंजर और शुष्क प्रदेश है हरियाली कही-कही बाह्य इलाके में नजर आती है! नोशारो जुड़ैरजुङो और अली-मुराद जैसे स्थान इसी छेत्र में स्थित है! मकरान तात पर सुटका कोह और सुटकाफिंडोर बस्तियां बलूचिस्तान के पहाड़ी छेत्र के सबसे अधिक शुष्क भाग है! वे हड़प्पा-सभ्यता की पश्चिमी-सभ्यता सीमाएं है! हड़प्पा सभ्यता की पूर्वी सीमाओं पर बड़गाओं मानपुर और आलमगीरपुर जैसी बस्तियां थी! यह इलाका अब उत्तर प्रदेश में है! गंगा-यमुना दोआब में

मोर्टिमर व्हीलर और स्टुआर्ट पिगत जैसे पुरातत्विदों का मत था की हड़प्पा-सभयता के नगरों की संरचना और बनावट में असाधारण प्रकार की एकरूपता थी Hadapaa sabhyata ki nagar yojna नगर-योजना ancient history

                          नगरयोजना  मोर्टिमर व्हीलर और स्टुआर्ट पिगत जैसे पुरातत्विदों का मत था की हड़प्पा-सभयता के नगरों की संरचना और बनावट में असाधारण प्रकार की एकरूपता थी| प्रत्येक नगर दो भागो में बता होता था! एक भाग में ऊँचा दुर्ग होता था जिसमे शाशक और राजघराने के लोग रहते थे! नगर के दूसरे में शाषित और गरीब लोग रहते थे! योजना का अभिनता का अर्थ यह भी है की यदि आप हड़प्पा की सड़को पर घूमने निकले तो आप पाएंगे की वहां की घर मंदिर खलिहान ार गालिया बिकुल वैसी हैं जैसी मोहनजोदड़ो की या हडप्प्पा-सभ्यता की अन्य किसी भी नगर की! संकल्पना की अभिन्नता का यह विचार उन विदेशी समुदायों से लिया गया था जिन्होंने अकस्मात् हमला करके सिंधु घाटी को जीत लिया और नए नगरों का निर्माण किया ! इन नगरों की योजना ऐसी की गयी थी जिसमे की वहां के मूल निवासियों को शाशकुअरग से अलग रखा जा सके! इस तरह शाशकों ने ऐसे किलों का निर्माण किया जिनमे वे आम जनता से अलग-थलग शान से रह सके! आजकल विद्वान अब इन विचारों को अष्विकार कर रहे है! की हड़प्पा सभ्यता के नगरों का निर्माण अकस्मात् हुआ और उनकी योजना में एकरूपता थी! हड़प्पा सभयता

उत्तरी राजस्थान की कालीबन्गन स्थान पर आरम्भिक हड़प्पा काल की प्रमाण मिले हैं Kalibangan ancient encyclopedia

कालीबंगन उत्तरी राजस्थान की कालीबन्गन स्थान पर आरम्भिक हड़प्पा काल की प्रमाण मिले हैं! यहां पर लोग कच्ची ईटो के मकानों में रहते थे! इन कच्ची ितों का मानक आकार होता था! वे बस्ती के चारो तरफ दीवारी भी बनाते थे! उन लोगों द्वारा प्रयुक्त मिटटी के बर्तनो के आकार और डिजाइन से अलग था! फिर भी मिटटी के कुछ बर्तन कोटदीजी में पाए गए मिटटी के बर्तनो से मिलते थे! बलि स्तम्भ जैसे मिटटी के बर्तनो के कुछ नमूनों का प्रयोग शहरी चरण के दौरान जारी रहा! इसके अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण खोज थी जुते हुए खेत का तल! इससे सिद्ध होता है की उस समय भी किसान हल के बारे में पहले से ही जानते थे! पुराने हालात में किसान केवल बीज चित्रकार बो सकते थे! या खेतों के खुदाई के लिए फावड़े कुंडली का प्रयोग करते थे! हल से कोई भी व्यक्ति बहुत काम मेहनत से अधिक गहरी खुदाई कर सकता है! इसलिए इसे खेती का उन्नत औजार समझा जाता है जिसमे खाद्य उत्पादन को बढ़ने की शक्ति है!  घग्गर नदी जो भारत में सुखी तलहटी में आरंभिक हड़प्पा की अनेक बस्तियां पाई गयी हैं! ये बस्तियां उन जलमार्गों के पास पासी गयी हियँ जो अब विलुप्त हो गए है! सोथी बाड़ा और सीसवाल