औद्योगिक केंद्रण तथा जैबात्सु
औद्योगिक केंद्रण तथा जैबात्सु अंतर्यद्ध वर्षों के दौरान जापान में औद्योगिक एकाधिकार में काफी वृद्धि हुई। एकाधिकार से तात्पर्य उस स्थिति से है जबकि किसी विशेष उपभोग की वस्तु के उत्पादन में कुछ ही उत्पादनकर्ता शामिल हों। प्रतियोगिता के अभाव में कई बार उत्पादित वस्त के दाम बहुत अधिक होते हैं। इन वर्षों के दौरान जैबात्सू की भूमिका औद्योगिक केंद्रण की थी। जैबात्सू से अभिप्राय विशाल व्यापारिक घरानों से है, लेकिन इन व्यापारिक घरानों के कार्य क्षेत्र एवं स्वार्थ अलग-अलग थे। इन वर्षों में जापान में मित्सुई, मित्सुबिशी, सुमितोमो, तथा यासूदा जैसे चार बड़े जैवात्सू थे। 1920 के दशक की कुछ वित्तीय मुश्किलों के कारण सरकार ने कुछ निश्चित उपायों को लागु किया। इसका परिणाम यह हुआ कि बैंकों की संख्या में गिरावट आई। 1918 में बैंकों की संख्या 2285 थी वह 1930 में 1913 रह गई। 1928 में मित्सुई, मित्सुबिशी, दादू इची, सुमी तोमो तथा यासूदा जैसी "बड़ी पांच" बैंकों के पास सभी सामान्य बैंकों की 34 प्रतिशत पंजी जमा थी। इन पांच बड़े बैंकों में से चार पर जैबात्सू का नियंत्रण था। सुदृढ़ीकरण की प्रक