हजरत सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम कि प्यारी हिदायत
786/92 एक शख़्स ने यूरोप में इस्लाम क़बूल किया। उस से पूछा गया, के इस्लाम की कौन सी बात ने तुम्हे मोतासिर किया ?? उस ने कहा, "सिर्फ़ एक वाक़ीया ने मुझे हिदायत का सबब बना दिया।" उस ने कहा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहे वस्सल्लम की मजलिस लगी है। सारे लोग बैठे हैं एक आदमी उठ कर कहता है। या रसूल्लल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) मेरा बेटा तीन दिन से लापता है। आप दुआ कर दीजिये के मेरा बेटा मिल जाए। अभी हुज़ूर दुआ करने वाले ही थे के, एक दूसरा आदमी जो पहले से वहां बैठा था। उस ने कहा, या रसूल्लल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) मैं इस के बेटे को पहचानता हूँ। फ्ला बाग़ में अभी अभी खेलते देखा है। बाप ने जैसे ही सुना तो दौड़ लगा दी। हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, बुलाओ उसे और पूछा बहत जल्दी है ?? उस ने कहा, या हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम । वो बेटा है मेरा। तीन दिन से बिछड़ा हुआ है। माँ भी उस की परेशान है। तीन दिन से कुछ खाया पिया नहीं है। सोंचा जल्द मिल जाए तो उसकी माँ से भी मिलवा दूँ । हुज़ूर सल्ललाहु अलैहे वस्सल्लम ने कहा, बहुत ख़ूब। पर सुनो तुम्हे ब