भोजन और उसके कार्य Food and its functions

भोजन और उसके कार्य
भोजन क्या है और भोजन के क्या कार्य हैं? आइए, इसके बारे में पढ़ें। भोजन शब्द का संबंध शरीर को पौष्टिकता प्रदान करने वाले पदार्थों से है। भोजन में वे सभी ठोस, अर्द्ध-तरल
और तरल पदार्थ शामिल हैं, जो शरीर को पौष्टिकता प्रदान करते हैं। आप जानते है कि भोजन आपके शरीर की एक मूलभूत आवश्यकता है। कभी आपने विचार किया है कि ऐसा क्यों है? भोजन में कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं जो हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण कार्य करते हैं । भोजन से मिलने वाले इन रासायनिक पदार्थों को पोषक तत्व कहते हैं। यदि ये पोषक तत्व हमारे भोजन में उचित मात्रा में विद्यमान नहीं हों तो इसका परिणाम अस्वस्थता या कई बार मृत्यु तक हो सकती है।
भोजन में पोषक तत्वों के अलावा, कुछ अन्य रासायनिक पदार्थ भी होते हैं जिनको अपोषक तत्व (non-nutrients) कहते हैं- जैसे कि भोजन को उसकी विशेष गंध देने वाले पदार्थ, भोजन में पाए जाने वाले प्राकृतिक रंग, आदि। इस प्रकार, भोजन पोषक तत्वों और अपोषक तत्वों का जटिल मिश्रण है।

भोजन के कार्य 
आप यह जानते हैं कि भोजन कई पोषक तत्वों का सम्मिश्रण होता है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि भोजन में चालीस से भी अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों को मुख्यतः पाँच वर्गों में बाँटा जा सकता है (कुछ समान विशेषताओं के आधार पर)। ये वर्ग हैं- प्रोटीन, कार्बोज, वसा, विटामिन और खनिज लवण। एक अन्य वर्ग है जल। जल केवल एक पोषक तत्व ही नहीं है, बल्कि इसे भोजन का भी दर्जा दिया गया है। इस विषय में इकाई 2 खंड । में आपको और अधिक जानकारी दी जाएगी। आइए, अब भोजन के कार्यों की जानकारी प्राप्त करें।
पोषक तत्वों के प्रत्येक वर्ग का एक विशिष्ट शरीरक्रियात्मक कार्य होता है। यहाँ पर 'शरीर क्रियात्मक कार्य'; कुछ विशिष्ट शरीर के कार्यों को बनाए रखने में भोजन की भूमिका को संदर्भित करता है। चूंकि भोजन में पोषक तत्व होते हैं इसलिए इसके शरीरक्रियात्मक कार्य भी हैं जिन्हें आप आगामी भाग में पढ़ेंगे। शरीरक्रियात्मक कार्यों के साथ भोजन के सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक कार्य भी हैं (चित्र 1.1)। भोजन के मुख्यतः तीन कार्य होते हैं-
●शरीरक्रियात्मक कार्य (Physiological function)
● सामाजिक कार्य (Social function)
●मनोवैज्ञानिक कार्य (Psychological function)

शरीरक्रियात्मक कार्य : भोजन के शरीरक्रियात्मक कार्य हैं- ऊर्जा प्रदान करना, शारीरिक वृद्धि में सहायता करना, शरीर का बीमारियों से बचाव करना और शरीर की क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाना।

 हमें अपने जीवन में हर क्षण विभिन्न क्रियाओं जैसे उठने, बैठने, चलने, दौड़ने आदि के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, हमारे शरीर के अंदर और भी कुछ क्रियाएँ हर क्षण होती रहती हैं- जैसे दिल का धड़कना, आँतों का सिकुड़ना, फेफड़ों का फैलना और सिकुड़ना आदि। शरीर को इन आंतरिक क्रियाओं के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा देने का यह कार्य मुख्य रूप से कार्बोज़ और वसा द्वारा किया जाता है। इन दो पोषक तत्वों को शरीर का ईंधन कहा जाता है। इन दोनों पोषक तत्वों के कार्य की तुलना लकड़ी, कोयला आदि ईंधन के जलने से की जा सकती है। आपने देखा होगा कि इन ईंधनों के जलने पर गर्मी और प्रकाश के रूप में ऊर्जा निकलती है। इनके जलने पर, निकलने वाली आग की गर्मी और प्रकाश वास्तव में ऊर्जा के ही परिवर्तित रूप हैं। इसी प्रकार, कार्बोज़ और वसा के शरीर में जलने से ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा का उपयोग शरीर की विभिन्न क्रियाओं के लिए होता है।
इसके अतिरिक्त, शरीर की वृद्धि और टूट-फूट की मरम्मत के लिए भी भोजन आवश्यक है। इन दो शब्दों - "वृद्धि" और "मरम्मत''- का क्या अर्थ है? जैसा कि आप जानते हैं, कि हमारा शरीर कई छोटी-छोटी इकाइयों से मिलकर बना है, जिन्हें कोशिकाएँ कहते हैं। शरीर की वद्धि के दौरान शरीर में पुरानी कोशिकाओं के साथ कई नई कोशिकाएँ बनती हैं। इसके साथ-साथ पुरानी कोशिकाओं के आकार में भी वृद्धि होती है। दूसरी ओर, हमारे शरीर में कुछ कोशिकाएँ टूटती और नष्ट होती रहती हैं। इन टूटी कोशिकाओं को ठीक करना और नष्ट हई कोशिकाओं को बदलना, मरम्मत का कार्य कहलाता है। वृद्धि और मरम्मत दोनों के लिए ही प्रोटीन अनिवार्य है। यदि हम किसी व्यक्ति के शैशवावस्था से वयस्क होने तक की ऊँचाई और वज़न में हुई अत्यधिक बढ़ोत्तरी को देखें, तो हम वृद्धि एवं विकास में प्रोटीन की भूमिका को जान सकते हैं। यह सब कैसे होता है? यह वलि प्रक्रिया द्वारा ही संभव है। भोजन का अन्य महत्वपूर्ण शरीरक्रियात्मक कार्य है, शरीर का बीमारियों से बचाव और शाही की विभिन्न क्रियाओं को सूचारु रूप से चलाना। पहले हम शरीर का बीमारियों से बचाव के बारे में चर्चा करेंगे। यहाँ बीमारियों से बचाव से तात्पर्य है संक्रमण से लड़ने के लि उत्तरदायी शरीर प्रणालियों के समूचित कार्य को सुनिश्चित कर संक्रमण (infection) शरीर का बचाव । लेकिन यदि किसी कारणवश किसी व्यक्ति को संक्रमण या अन्य किसी किस्म की बीमारी हो जाए, तो भोजन में पाए जाने वाले पोषक तत्व उस व्यक्ति को संक्रमण से बचाते हैं तथा उसके जल्दी स्वस्थ होने में सहायक होते हैं। उचित आहार न लेने वाले व्यक्ति को स्वस्थ होने में अधिक समय लगेगा, वह अपेक्षाकृत जल्दी बीमार भी होगा।

शरीर की क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने वाले कार्य से तात्पर्य है शरीर प्रक्रिया में नियंत्रण। जैसा कि आप जानते हैं, कि शरीर के अन्दर बहुत सी प्रक्रियाएँ होती रहती हैं, जैसे कि दिल का धड़कना, शरीर के तापमान को स्थिर बनाए रखना, मांसपेशियों का सिकुड़ना आदि। ये सभी प्रक्रियाएँ शरीर में नियंत्रित होती रहती हैं। उदाहरण के लिए हमारे शरीर का तापमान 98.4°F या 37°C पर बना रहता है। इसी प्रकार दिल की धडकन की दर भी स्थायी बनी रहती है। भोजन के कुछ विशिष्ट पोषक तत्व (विटामिन और खनिज लवण) इन प्रक्रियाओं को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। अन्य पोषक तत्व प्रोटीन और जल भी नियंत्रण प्रक्रिया में सहायक होते हैं।

इन प्रक्रियाओं के साथ-साथ शरीर के अंदर बहुत सी रासायनिक प्रतिक्रियाएँ (chemial reactions) भी होती रहती हैं। इन रासायनिक प्रतिक्रियाओं द्वारा सरल पदार्थ आपस में मिलकर जटिल पदार्थ बनाते हैं और जटिल पदार्थ टूटकर सरल पदार्थों में बदलते रहते हैं | चित्र 1.2 में आप देख सकते हैं कि किस तरह एक या दो सरल इकाइयाँ मिलकर जटिल पदार्थ बनाती हैं और किस प्रकार जटिल पदार्थ टूटकर सरल इकाइयों के रूप म परिवर्तित हो जाते हैं। शरीर की आवश्यकतानुसार ये प्रतिक्रियाएँ नियंत्रण में रहती है। विटामिन, खनिज लवण और प्रोटीन इन प्रतिक्रियाओं के नियंत्रण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सामाजिक कार्य : भोजन और उसे ग्रहण करना एक सामाजिक अर्थ भी रखता है। किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर भोजन करने से तात्पर्य सामाजिक स्वीकृति से है। जब आप किसी व्यक्ति के साथ अपना भोजन बाँटकर खाते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक है कि आपने उस व्यक्ति को आदर देकर मित्र बना लिया है। पहले ऐसा देखा जाता था कि कोई भी व्यक्ति अपने से निचले स्तर के व्यक्ति के साथ भोजन नहीं कर सकता था। मगर अब इस सोच में परिवर्तन आया है, विशेषकर शहरों और नगरों में रहने वाले व्यक्तियों में। उदाहरण के लिए, किसी भी सामाजिक स्तर की पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति किसी भी होटल में खाना खा सकता है, बशर्ते कि उसके पास खाना खाने के लिए पैसे हों।

भोजन प्रत्येक उत्सव और त्यौहारों का अभिन्न अंग है। आपने देखा होगा कि किसी भी खुशी के अवसर पर, चाहे वह बच्चे का जन्मदिन हो, शादी अथवा त्यौहार जैसे दिवाली, दशहरा, पोंगल, ओणम, क्रिसमस, ईद हो, विशेष पकवान बनाए जाते हैं। इस प्रकार, भोजन लोगों को परस्पर एक-दूसरे से मिलाने का अवसर प्रदान कर सामाजिक कार्य करता है।

धार्मिक संदर्भो में भी भोजन का विशिष्ट महत्व एवं अर्थ है। बहुत से खाद्य पदार्थ जैसे कि फल, मिठाइयाँ, नारियल आदि पूजा स्थलों में देवताओं को चढ़ाए जाते हैं। प्रायः यह खाद्य पदार्थ धार्मिक व पूजा स्थलों पर प्रसाद के रूप में बाँटे जाते हैं। एक ही धर्म के लोगों की खान पान की आदतें भी एक सी होती हैं। धार्मिक ग्रंथ और प्रथाएँ कुछ खाद्य पदार्थ खाने की अनुमति देते हैं तो कुछ की नहीं। अतः किसी एक धर्म-विशेष के लोग प्रायः एक ही प्रकार का भोजन ग्रहण करते हैं।
इस प्रकार भोजन हमारे सामाजिक और धार्मिक जीवन का अभिन्न अंग है।
मनोवैज्ञानिक कार्यः हम सबकी कुछ भावनात्मक ज़रूरतें होती हैं, जैसे कि सुरक्षा, स्नेह, प्यार, अपनापन आदि। भोजन इन ज़रूरतों को पूरा करने में सहायक होता है। जैसे कि . जब माँ अपने बच्चे के लिए मनपसंद भोजन बनाती है तो बच्चा इस बात का अनुभव करता है कि माँ उसे प्यार करती है और उसकी पसन्द, नापसन्द का ध्यान रखती है। इसी प्रकार, जब हम दूसरों के साथ मिलकर भोजन खाते हैं तो वह हमारी मित्रता का प्रतीक होता है। स्कूल जाने वाला बालक वैसा ही भोजन खाना पसन्द करता है, जैसा कि उसके दोस्त खाते हैं और पसन्द करते हैं। चूँकि उसे दोस्तों के साथ मिलकर रहना है, अतः आरंभ में चाहे उसे भोजन अरुचिकर लगे किन्तु फिर भी वह उसे ग्रहण करता है। ऐसा करने से वह अपने दोस्तों के साथ उठ-बैठ सकता है और इससे उसका आत्म-विश्वास बढ़ता है। . भोजन का हमारी भावनाओं से भी बहुत गहरा संबंध है। उदाहरण के लिए, जब अच्छा काम, करने पर बच्चे को इनाम के रूप में आइसक्रीम या मिठाई दी जाती है तो इन वस्तुओं से बच्चा खुशी का अनुभव करता है। दूसरी ओर, यदि उसे बीमार होने पर खिचड़ी दी जाती है तो बीमारी में दिए जाने के कारण वह इस तरह के भोजन को बीमारी से जोड़ लेता है और इसीलिए प्रायः कुछ व्यक्तियों में इसे खाने में रुचि नहीं रहती।

Comments

  1. वाह भाई जी उत्तराखंड के भोजन के व्यंजन बहुत सुन्दर लिखा है इसे भी देखे उत्तराखंड के भोजन के व्यंजन

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  2. प्यारा आर्टिकल लिखा आपने ... धन्यवाद, Also check: Devbhumiuk.com

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