मुगल साम्राज्य की 5 ताकतवर महिलाएं | Powerful Women Of The Mughal Empire - historyindiaworld

मुगल साम्राज्य की 5 ताकतवर महिलाएं, जिन्‍होंने नीति-निर्माण में  अहम भूमिका निभाई!



मुगल साम्राज्‍य के ताकतवर बादशाहों ( बाबर, अकबर, औरंगज़ेब आदि)  के बारे में लगभग सभी जानते होंगे। मुगल साम्राज्य (1526-1707) की स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी, 

इसके बाद उसका उत्तराधिकारी उसका पुत्र हुमायूं था। 

उसके बाद अकबर आया, उसके बाद उसका पुत्र जहांगीर, 

उसके बाद शाहजहां और अंतिम मुगल शासक औरंगजेब था। ये ऐसे शासक थे, जो अपने साम्राज्‍य का विस्‍तार मजबूत किया, जिनके बारे में हमें पता है, 

लेकिन शायद ही आप मुगल साम्राज्‍य की इन ताकतवर महिलाओं के बारे में नहीं  होंगे?

1. गुलबदन बानो बेग़म:

गुलबदन का जन्म अफगानिस्‍तान के काबुल में साल 1523 में हुआ। बहुत छोटी उम्र में उनके पिता ज़हीरुद्दीन बाबर का देहांत हो गया था और उनकी सौतेली मां, रानी माहम बेग़म ने उन्हें गोद ले लिया था। माहम बेग़म बादशाह हुमायूं की मां थीं और गुलबदन का बचपन बादशाह हुमायूं की ही देखरेख में गुजरा। उन्हें बचपन से पढ़ने का बहुत शौक़ था और वे फ़ारसी और अपनी मातृभाषा तुर्की में कविताएं भी लिखा करती थीं। वे अपने भतीजे, राजकुमार अकबर के बहुत क़रीब थीं और उन्हें रोज़ कहानियां सुनाया करती थीं। जब अकबर बादशाह बने, उन्होंने अपनी बुआ से गुज़ारिश की कि वे उनके पिता हुमायूं की जीवनी लिखें।

अकबर ने गुलबदन को हुमायूं नामा लिखने का सुझाव दिया। हुमायूं नामा में गुलबदन बेगम ने सिर्फ़ बादशाह हुमायूं और उनके शासन के बारे में ही नहीं लिखा, बल्कि एक मुग़ल परिवार में रोज़मर्रा की ज़िंदगी कैसी होती है इसका भी अच्छे चित्रण किया है। मुग़ल जनाना-खाने के अंदर के जीवन का उन्होंने विस्तार में वर्णन किया है और इस तरह हम मुग़ल साम्राज्य का इतिहास पहली बार एक औरत के नज़रिए से पढ़ते हैं।


2.नूरजहां:

जहांगीर मई, 1611 ई में नूरजहां से विवाह किया था, विवाह के बाद 1613 ई में नूरजहां को बादशाह बेगम बनाया गया। खूबसूरत होने के साथ-साथ नूरजहां बुद्धिमती, शील और विवेकसम्पन्न भी थी।

उन्हें साहित्य, कविता और ललित कलाओं में विशेष रुचि थी। उनका  लक्ष्य भेद अचूक होता था। 1619 ई. में उसने एक ही गोली से शेर को मार गिराया था। इन समस्त गुणों के कारण उसने अपने पति पर पूर्ण प्रभुत्व स्थापित कर लिया था। इसके फलस्वरूप जहांगीर के शासन का समस्त भार उसी पर आ पड़ा था। सिक्कों पर भी उसका नाम खोदा जाने लगा और वह महल में ही दरबार करने लगी। उसके पिता एत्मादुद्दोला और भाई आसफ़ ख़ां को मुग़ल दरबार में उच्च पद प्रदान किया गया था और उसकी भतीजी (मुमताज़) का विवाह शाहजहां से हो गया।

शाहजहां को जब इस बात का अहसास हुआ कि नूरजहां उसके प्रभाव को कम करना चाह रही है, तो उसने जहांगीर द्वारा कंधार दुर्ग पर आक्रमण कर उसे जीतने के आदेश की अवहेलना करते हुए 1623 ई. में ख़ुसरो ख़ां का वध कर दक्कन में विद्रोह कर दिया। उसके विद्रोह को दबाने के लिए नूरजहां ने आसफ़ ख़ां को न भेज कर महावत ख़ां को शहज़ादा परवेज़ के नेतृत्व में भेजा। उन दोनों ने सफलतापूर्वक शाहजहां के विद्रोह को कुचल दिया। शाहजहां ने पिता जहांगीर के समक्ष आत्समर्पण कर दिया और उसे क्षमा मिल गई। जहांगीर के जीवन काल में नूरजहां सर्वशक्ति सम्पन्न रही, किंतु 1627 ई. में जहांगीर की मृत्यु के उपरांत उसकी राजनीतिक प्रभुता नष्ट हो गई। नूरजहां की मृत्यु 1645 ई. में हुई। अपनी मृत्यु पर्यन्त तक का शेष जीवन उसने लाहौर में बिताया।


3.मरियम उज जामनी:

मरियम जमानी अजमेर के राजा भारमल कछवाहा की बेटी थी। इनका नाम जोधा बाई था। अकबर के साथ 6 फ़रवरी 1562 को सांभर, हिन्दुस्तान में इनका विवाह हुआ। वह अकबर की तीसरी पत्नी और उसके तीन प्रमुख मलिकाओं में से एक थी। अकबर के पहली मलिका रुक़ाइय्या बेगम निःसंतान थी और उसकी दूसरी पत्नी सलीमा सुल्तान उसके सबसे भरोसेमंद सिपहसालार बैरम ख़ान की विधवा थी। लंबे इंतजार के बाद जब उन्होंने अकबर के बेटे सलीम को जन्म दिया, तो अकबर ने उन्हें मरियम जमानी का खिताब दिया, जिसका अर्थ होता है- विश्व के लिए दयालु। बाद में यही सलीम जहांगीर के नाम से जाना गया।

मरियम उज-जमानी की मृत्यु 1622 में हुई और उनके बेटे जहांगीर ने उनके नाम पर "मरियम उज-जमानी महल" का निर्माण करवाया था। यह महल अकबर के मकबरे के करीब स्थित है। इस महल के प्रांगण के चारों ओर कई सारे कमरे बने हुए हैं। महल के उत्तरी छोर पर एक बाग भी है, जो एक पुल के जरिए महल से जुड़ा हुआ है।


4.जहांआरा बेगम:

जहांआरा बेगम सम्राट शाहजहां और महारानी मुमताज महल की सबसे बड़ी बेटी थी, इनका जन्‍म 2 अप्रैल 1614 में हुआ था, वह अपने पिता की उत्तराधिकारी और छठे मुगल सम्राट औरंगज़ेब की बड़ी बहन भी थी। इन्‍होंने ही चांदनी चौक की रूपरेखा बनाई थी। 1631 में मुमताज़ महल की असामयिक मृत्यु के बाद, 17 वर्षीय जहांआरा ने अपनी मां को मुग़ल साम्राज्य की फर्स्ट लेडी घोषित करवा दिया, इस तथ्य के बावजूद कि उनके पिता की तीन पत्नियां थीं। वह शाहजहां की पसंदीदा बेटी थी और उसने अपने पिता के शासनकाल में प्रमुख राजनीतिक प्रभाव को समाप्त कर दिया था। जिसे उस समय साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला के रूप में वर्णित किया गया है।

जहांआरा अपने भाई दारा शिकोह को ज्‍यादा मानती थी, 1657 में शाहजहां की बीमारी के बाद उत्तराधिकार के युद्ध के दौरान, जहांआरा उत्तराधिकारी दारा शिकोहा के साथ चली गई और अंततः अपने पिता के साथ आगरा के किले में बंदी बना दी गई। एक समर्पित बेटी की तरह उसने 1666 में शाहजहां की मृत्यु तक उनकी देखभाल की। बाद में, जहांआरा ने औरंगज़ेब के साथ सामंजस्य स्थापित किया, जिसके बाद उन्‍हें राजकुमारी की महारानी का खिताब दिया गया। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान जहांआरा अविवाहित रही।


5.दिलरास बानो बेगम:

दिलरास का जन्‍म 1662 में हुआ, वो मिर्ज़ा बदीउद्दीन सफ़वी और नौरस बानो बेगम की बेटी थीं, इसके परिणामस्वरूप वे सफ़वी राजवंश की शहज़ादी थीं। 1637 में उनके विवाह तत्कालीन शहज़ादा औरंगज़ेब से करवाया गया था। 

दिलरास बानो बेगम मुग़ल राजवंश के आख़िरी महान शहंशाह औरंगज़ेब की पहली और मुख्य बीवी थीं। इनकी पांच संतानें थी, जिसमें मुहम्मद आज़म शाह, होशियार शायरा ज़ेबुन्निसा, शहज़ादी ज़ीनतुन्निसा और सुल्तान मुहम्मद अकबर। उन्हें मरणोपरांत  राबिया उद्दौरानी के ख़िताब के नाम से भी पहचानी जाती है। 

औरंगाबाद में स्थित बीबी का मक़बरा जो ताज महल की आकृति पर बनवाया गया, उनकी आख़िरी आरामगाह के तौर पर अपने शौहर के हुक्म पर निर्मित हुआ था।  साल 1657 में संभवतः जच्चा संक्रमण की वजह से उनकी मौत हो गई।


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Comments

  1. Bahut achchha post likha hai apne mujhe apke samjhane ka jo tarika hai o bahut pasand aya bahut sare website pr log gol gol ghumate lekin apne bilkul asan or satik tarike se information diya hai. Thankyou sir g good job Gaharwarji

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