अकबर की पहली बेगम का क्या नाम था?

 अकबर की पहली बेगम थी- रुकय्या बेगम ,जो उसके चाचा हिन्दाल की बेटी थी. हिन्दाल बाबर का सबसे छोटा बेटा था। हुमायूँ ने अकबर की शादी इससे हिन्दाल के मरने के समय हि अपनी उपस्थिति में करवा दि थी. दोनों अकबर और रुकैया लगभग एक हि उम्र के थे और साथ साथ हि खेलते थे. हुमायूं और हिन्दाल आपस मे बेहतर तालमेल रखते थे और हिन्दाल हुमायूं को सहयोग भी करता था। हुमांयू की पत्नी हामिद बनो बेगम हिन्दाल के गुरु शिया की पुत्री थी जो अकबर की माँ थी। इसका वी यह हुमांयू ने कम उम्र में ही कर लिया था काफी मनोवल के बाद हमीद ने हुमायूं से निकाह करने की रजामंदी भरी थी।अकबर लगभग तेरह साल की उम्र में दिल्ली का बादशाह बन गया था. दिल्ली के पुराने किले में सीढ़ियों से गिरकर जनवरी 1556 में हुमायूं की मृत्यु हुई ,तब अकबर हुमायूं के विश्वस्त सहयोगी बेराम खान के साथ पंजाब में अफगानी सुरियों से लड़ने गया हुआ था. यूज़ समय अकबर पंजाब का सूबेदार भी था। हुमायूं दिल्ली का बादशाह जुलाई 1155 में सिकन्दर सूरी को पंजाब के मछलिकोटला में हराकर दिल्ली पर काबिज हुए था। कलानौर पंजाब में इसका राज्याभिषेक बेराम खान ने करवाया था. वह चबूतरा अब भी है जहां अकबर के सर पर ताज रखा गया. दिल्ली से तर्दी बेग मुघल को सेना सहित हिंदू सम्राट हेमू ने तुग़लक़ाबाद के युद्ध में हराकर भगा दिया था ।फिर बेराम खान ने तरदी बेग का सिर पंजाब में अकबर के केम्प में अकबर के ही सामने उसकी मर्जी के खिलाफ ही काट दिया था और पानीपत की दूसरी लड़ाई में 1556 में हेमू को हराकर कैद कर के उस घायल आंख में तीर लगे हेमू का सिर भी काट दिया था. इस तरह अकबर की ताजपोशी आसान नही थी रक्तरंजित थी और बड़े ही बुरे समय से अकबर को गुजरना पड़ा तथा बेराम खान का दबदबा उसकी रियासत पर शुरू में बन गया।


बादशाह अकबर 1556–1605 शाशन किया। 1556 से 1561 तक के अकबर के शाशन को पेटीकोट शाशन बजी कहते है क्योंकि इस समय मे अकबर पर महम अंग का बहुत प्रभाव था और इसी बीच महम अंग का बेटा अधम खान अकबर से बराबरी करने लगा था जिसे अगर में अकबर ने दीवाल से गिराकर मार दिया था।

अतः अकबर की पहली बेगम रुकय्या बेगम हि थी. यह अकबर की मृत्यु के बाद भी जिन्दा रही और हरम का कामकाज सम्हालती थी. जहांगीर के बादशाह बनने पर जगत गुसाईं जो शाहजहाँ की मा थी, ने हरम का कामकाज इससे ले लिया था. शाहजहाँ जिसका बचपन का नाम खुर्रम था, की पालन पोषण रुकय्या बेगम ने हि की थी. अकबर ने जगत गुसाईं से बच्चा खुर्रम को लेकर रुकय्या बेगम को दे दिया था जिससे रुकैया और जगत गुसांई में दोनों में आपसी वैमनस्य नफ़रत का सिलसिला शुरू हो गया था. जगत गुसाईं में और रुकय्या बेगम मे आपस में वैमनस्य था. दोनों खुर्रम की खैरख्वाह थी. जगत गुसांई मारवाड़ के राजा गज सिंह की बहन थी। महाराज जसवंत सिंह और राजकुमार अमर सिंह की बुआ थी। ज़ब जहांगीर ने नूरजहां से निकाह किया तो हरम की बागडोर जगत गोसाईं से नूरजहां के पास चलि गयी और रुकय्या बेगम इस घटना से खुश हुयी थी. नूरजहां भी रुकैया की पसंद थी ईरानी थी और जहांगीर की बीसवीं बेगम थी। जहांगीर इसके प्रेमपाश में ऐसा फंसा की राजपाट राजकाज सब उसे सुपुर्द कर खुद अफीम के नशे में मस्त रहने लगा।

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