हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का छेत्र हड़प्पा सभ्यता का केंद्र बिंदु रहा होगा hadappa sabhyata ka bhaugolik vishtaar ancient encyclopedia

   
हड़प्पा सभ्यता का भौगोलिक विस्तार

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का छेत्र हड़प्पा सभ्यता का केंद्र बिंदु रहा होगा! क्योकि हड़प्पा सभ्यता की अधिकांश बस्तियां इसी छेत्र में है! इस पुरे छेत्र की भूमि समतल और सपाट है जो यह बताती है की यहां की जीवन-यापन की तरीके एक जैसे थे! हिमालय से पिघली बर्फ और मानसून की वर्षा से यहाँ आने वाली बाढ़ के श्वरूप का पता लगता है! इससे एक जैसी ही खेती और चरागाही के लिए संभावनाए पैदा हुई होंगी! सिंधु व्यवस्था के पश्चिम में काछी मैदान ईरानी सिमा-भूमि के अंतरवर्ती छेत्र में स्थित है! यह समतल कछारी हिमानी घाट जो बोलन दर्रे और मंचाल झील के निचले भाग में स्थित है!

यह बंजर और शुष्क प्रदेश है हरियाली कही-कही बाह्य इलाके में नजर आती है! नोशारो जुड़ैरजुङो और अली-मुराद जैसे स्थान इसी छेत्र में स्थित है! मकरान तात पर सुटका कोह और सुटकाफिंडोर बस्तियां बलूचिस्तान के पहाड़ी छेत्र के सबसे अधिक शुष्क भाग है! वे हड़प्पा-सभ्यता की पश्चिमी-सभ्यता सीमाएं है!

हड़प्पा सभ्यता की पूर्वी सीमाओं पर बड़गाओं मानपुर और आलमगीरपुर जैसी बस्तियां थी! यह इलाका अब उत्तर प्रदेश में है! गंगा-यमुना दोआब में स्थित इन स्थानों में जीवन-निर्वाह की व्यवस्था उनकी भौगोलिक स्थिति के अनुकूल थी! इस छेत्र में वर्षा अधिक होती थी! और यहां घने जंगल थे!जम्मू में मांडा और पंजाब में रोपड़ वे स्थान है जो भारत में हड़पा-सभ्यता के उत्तरी छोर कहलाते हैं! महाराष्ट्र में दैमाबाद और गुजरात में भगतराव की बस्तिया हड़प्पा की दच्छिनी सीमाएं रही होंगी! गुजरात में भी बसावट का स्वरुप एक जैसा नहीं था! वहां कच्छ और काठीयाबाड़ में छाए-छोटे कटे हुए पठार थे और असमतल भूमि थी! दूसरी और इस छेत्र में काम्बे की कड़ी और कच्छ के राण से जुड़ा एक बहुत विशाल समुद्रतत था! गुजरात में हड़प्पा के लोग चावल और ज्वार-बाजरे का भोजन के रूप में इस्तेमाल करते थे!हड़प्पा सभ्यता मेसोपोटामिया और मिश्रा की समसामयिक सभ्यताओं से अधिक विश्तृत था! मेसोपोटामिया में बस्तिया नदीय मैदानों के पार घने समूहों में फैली हुयी थी! फिर भी घग्घर-हाकड़ा छेत्र में बसी बस्तियों को छोड़कर हड़प्पा-सभ्यता की अन्य बस्तियां बहुत कम घनी थी और बिखरी हुई थी! राजस्थान और गुजरात में हड़प्पा-सभयाता की बस्तियों के बीच सैकड़ो किलोमीटर तक फैला रेगिस्तान और दलदल भरा इलाका था! शर्तुघई का सबसे निकट का हड़प्पा पड़ौसी 300 की.मि. दूर था! विद्वानों का मत है की हड़प्पा-सभयता के सबसे बड़े नगर मोहनजोदरा की जनसँख्या लगभग 35,000 थी! आधुनिक भरत के सबसे छोटे शहरों की भी आबादी बड़े से बड़े हड़प्पा काल में परिवहन का सबसे तेज रफ़्तार का माध्यम बैलगाड़ी हुआ करती थी लोहे से लोग अनजान थे और हल के इस्तेमाल को क्रन्तिकारी खोज समझा जाता था! ऐसी सामाजिक-आर्थिक सम्बनध के जटिल जाल में पिराने में सफल रही उसके लिए उन दिनों यह एक चमत्कारिक उपलब्धि थी! 
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