Article 35-A क्या है? और जम्मू-कश्मीर इसे क्युं बचाना चाहती है ?

1.क्या मामला  है -
2.जम्मू-कश्मीर इसे क्युं बचाना चाहती है ?

Article 35-A जब लागू किया गया, तब यह मूल संविधान का हिस्सा नहीं था। यह सीधे राष्ट्रपति के आदेश पर संविधान में शामिल कर दिया गया। इसको लेकर साल 2014 में एक सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई। इसके बाद से यह मामला जोरोंं पर है। वर्तमान केंद्र में मौजूद भारतीय जनता पार्टी इस Article का विरोध कर रही है। पूरे भारत में एक कानून की मांग लगातार बनी हुई हैं। वहीं, जम्मू और कश्मीर में मौजूद राजनीतिक दल और अलगावादी इसके समर्थन में हैं। लेकिन जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इसको लेकर आक्रामक हो गई हैं।  जिससे  विभिन्न दलो मे टकराव उत्पन्न हो रहा है!

 


Article 35-A: भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सेना बढ़ा दी है। इसके बाद से अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि केंद्र सरकार आर्टिकल 35-ए खत्म करने जा रही है। हालांकि, सरकार की ओर से अभी तक ऐसा कोई बयान नहीं आया है। लेकिन जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इसको लेकर आक्रामक हो गई हैं। उन्होंने कहा कि 35-ए के साथ छेड़छाड़ बारूद को हाथ लगाने के बराबर है। इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी 35-ए के मामले में केंद्र सरकार को बचने की सलाह दी। अब ऐसे में आपके दिमाग सवाल चल रहा होगा कि आखिर Article 35-Aहै क्या, जो इतना बवाल मचा चुका है। आइए जानते ...
Article 35-ए आजादी के सात साल बाद सन् 1954 में इसे संविधान में जोड़ा गया था। इसकी सिफारिश नेहरू कैबिनेट ने की थी, इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के एक आदेश से संविधान में जोड़ा गया था। इस Article में कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया गया। इस Article का आधार दिल्ली एग्रीमेंट था, जो 1952 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच हुआ था। इस Article के पास होने के बाद नागरिकता का विषय कश्मीर के अधीन आ गया। वैसे पूरे भारत में नागरिकता का विषय केंद्र के अधीन है।
35-A कश्मीर को  विशेष दर्जा देता है :-
Article 35-A से जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को विशेष दर्जा मिलता है। इस विशेष अधिकार का फायदा उन्हें नौकरियों, संपत्ति की खरीद-विरासत, स्कॉलरशिप, सरकारी मदद और कल्याणकारी योजनाओं में मिलता है।

1. Article 35-A से जम्मू और कश्मीर के नागिरकों के स्थाई नागरिकता और अधिकार तय होते हैं।
2. इस नियम के तहत 4 मई 1954 के पहले कश्मीर में बसे लोग ही जम्मू और कश्मीर के स्थाई निवासी हैं।
3. किसी और राज्य का निवासी जम्मू और कश्मीर में स्थाई निवासी के तौर पर नहीं बस सकते थे।
4. किसी दूसरे राज्य के निवासी ना तो कश्मीर में जमीन खरीद सकते हैं, ना राज्य सरकार उन्हें नौकरी दे सकती है।
5. जम्मू कश्मीर के स्थाई निवासी ही जमीन खरीदने, रोजगार हासिल करने और सरकारी योजनाओं में लाभ लेने का अधिकार रखते हैं।
6.जम्मू कश्मीर की महिला भारत के किसी और राज्य के पुरुष से शादी करती है, तो वह स्थाई निवासी नहीं रह जाएगी। लेकिन, यह नियम पुरुषों पर लागू नहीं होता। इस मामले को लेकर लंबे समय से विवाद हो रहा है।


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