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Showing posts from February, 2020

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा का कार्यक्रम| US President Donald Trump's visit to India

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*विदेश मंत्रालय द्वारा जारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा का कार्यक्रम इस प्रकार है*: 24 फरवरी (सोमवार) सुबह 11:40 बजे : राष्ट्रपति ट्रंप अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे 12:15 बजे : साबरमती आश्रम जाएंगे 1:05 बजे : मोटेरा स्टेडियम में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में पहुंचेंगे 3:30 बजे : आगरा के लिए रवाना होंगे 4:45 बजे : आगरा पहुंचेंगे 5:15 बजे : ताजमहल देखेंगे 6:45 बजे : दिल्ली के लिए रवाना होंगे 7:30 बजे : दिल्ली आएंगे 25 फरवरी (मंगलवार) सुबह 10 बजे : राष्ट्रपति भवन में स्वागत कार्यक्रम 10:30 बजे : राजघाट में महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे 11 बजे : हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक करेंगे राष्ट्रपति ट्रंप 12:40 बजे : हैदराबाद हाउस में समझौते होंगे संयुक्त बयान जारी होगा 7:30 बजे : राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के साथ बैठक करेंगे 10 बजे : अमेरिका के लिए रवाना होंगे✍

भारत का नाम भारत कैसे पड़ा? Bharat ka naam bharat kaise pada

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  जिस देश को हम भारत कहते हैं, उसका नाम कब और किस आधार पर रखा गया, इसके विषय में स्थिति बहुत स्पष्ट नहीं है। इसको लेकर कई मत हैं! पौराणिक परंपरा के अनुसार इस देश का नामकरण राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर हुआ।शकुंतला को विश्वामित्र की पुत्री बताया जाता है, परंतु विश्वामित्र स्वयं अपने को भरत की संतान या भरतवंशीय बताते हैं और भरतों के शौर्य पर गर्व भी करते हैं। विश्वामित्र के आश्रयदाता रह चुके सुदास को भी भरतवंशीय बताया गया है, जबकि उनकी एक अन्य पहचान त्रित्सु या त्रित के वंशधर की भी है। वशिष्ठ ऋषि कहते हैं कि जब तक उन्होंने भरतों का पुरोहित पद नहीं ग्रहण किया था, तब तक भरतों के बीच बहुत फूट थी। वे परस्पर बिखरे हुए थे और उनका मनोबल गिरा हुआ था। गायों के झुंड में से किसी एक को एक डंडा मारते ही जैसे गायें इधर-उधर भागने लगती हैं, उसी तरह ये भाग खड़े होते थे। वशिष्ठ के पुरोहित बनने के बाद वे सबसे शक्तिशाली हो गए। इसमें अपनी प्रशंसा करने के लिए वशिष्ठ ने भरतों के विषय में कुछ अतिशयोक्ति से भी काम लिया हो सकता है, परंतु इतना तो सच ही है कि इससे पहले भरतों का वैसा प्रभाव

तिलका मांझी by historyindiaworld.blogspot.com

तिलका मांझी की जयंती मनायी गई  डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू) में मंगलवार(11/02/2020) को तिलका मांझी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इसमें बतौर मुख्य अतिथि कुलपति डॉ सत्यनारायण मुंडा मौजूद थे। डॉ सत्यनारायण मुंडा ने कहा कि वास्तव में हम अपने अस्तित्व, भाषा, साहित्य और संस्कृति को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें अपने शहीदों के बारे में गहराई से जानने की जरूरत है। मुख्य वक्ता ओडिशा से आए समाजसेवी सोमायडू ने कहा कि भारत में स्वर्ण युग था, लेकिन जब अंग्रेज आए, तो यहां लोगों का जीवन बदलने लगा। अंग्रेज उनका शोषण करने लगे। ऐसे ही समय में 11 फरवरी 1750 में तिलका मांझी का जन्म हुआ।

16 special plan for farmers in Budget 2020-21

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1. उन राज्य सरकारों को प्रोत्साहन देना जो आधुनिक कानूनों को बढ़ावा देते हैं जैसे- कृषि उपज की विपणन, ठेके पर खेती जैसे कानून को अमल में लाना शामिल है। 2. जल संकट बड़ी चुनौती है। हम पानी की किल्लत से जूझ रहे 100 जिलों पर ध्यान देंगे। वहां भूजल स्तर बढ़ाने और जल संचयन पर जोर दिया जाएगा। 3. अन्नदाता ऊर्जादाता भी ३. बने। हमारी सरकार उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा देगी। रासायनिक उर्वरकों के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल को रोका जा सकेगा। 4. लाख किसानों को सोलर पंप लगाने में सरकार मदद करेगी। अगर किसानों के पास खाली या बंजर जमीन है तो वे सौर ऊर्जा उत्पादन यूनिट लगा सकेंगे। 5. भारत के पास 162 मीट्रिक टन कोल्ड स्टोरेज की क्षमता है। हम ब्लॉक और तालुका स्तर पर भंडार गृह बनाने को बढ़ावा देंगे। फूड कॉर्पोरेशन अपनी जमीन पर भी कोल्ड स्टोरेज बनाएंगे। 6. स्वयं सहायता समूहों- खासकर महिला स्वयं सहायता समूह योजना के जरिए विलेज स्टोरेज को बढ़ावा दे सकेंगी। वे बीजों का संग्रह करेंगी। 7. भारतीय रेलवे किसान रेल चलाएगी। वे ट्रेनों के भीतर कोल्ड चेन स्टोरेज की। व्यवस्था करेंगी। रेलवे जल्द | खरा

हिन्द का नाम हिंद और हिंद से india कैसे पड़ा/How did Hind and india get its name?

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मनुष्य जब पेड़ों और झाडियों से फल, साग और जमीन से कंद जुटाकर या मछली पकड़ कर तथा शिकार करके अपना जीवन निर्वाह करता था, उस समय भी उसके छोटे समूहों ने अपने-अपने क्षेत्र बांट रखे थे। वे जिस रूप में अपना परिचय देते थे अथवा दूसरे उन्हें जिस रूप में पुकारते  थे, संभवतः वही उनके क्षेत्र का नाम पड़ जाता था। हमारे देश के कुछ क्षेत्रों के नाम आज भी इसी पर आधारित हैं। अवधी बोलने वाले क्षेत्र के एक हिस्से को बैसवाड़ा कहा जाता है। यहां बैस क्षत्रियों का प्रभाव था और उनके कारण इसका यह नाम पड़ गया। जिसे हम 'हिंद' कहते हैं, उसे यह नाम ईरानियों ने दिया था। वे सिंध को असल में हेंद' कहते थे और उससे आगे के क्षेत्र में रहने वालों को उन्होंने हिंदू नाम दिया। माना जाता है कि ईरानियों को परास्त करने वाले यूनानियों ने उनसे सुन कर ही इसे 'हिंद' कहना शुरू किया होगा! परंतु उनकी भाषा में 'ह' का उच्चारण नही है इसलिए उनका हिंद इंद' रह गया, जिससे अंग्रेजों का इंडिया यूरोपियनों का इंद/इंड बना!   कुछ मामलों में यह भी संभव है कि जिस प्राकृतिक परिवेश में वे रहते रहे हों, उससे उ