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हड़प्पा मोहनजोदड़ो और कालीबंगन में किले के छेत्रों में बड़ी विशाल इमारतें की जिनका प्रयोग विशेष कार्यों के लिए किया Ancient Indian history

हड़पा सभ्यता की कुछ विशाल इमारतें- हड़प्पा मोहनजोदड़ो और कालीबंगन में किले के छेत्रों में बड़ी विशाल इमारतें की जिनका प्रयोग विशेष कार्यों के लिए किया जाना होगा! यह तथ्य इस बात से स्पष्ट होता है की ये इमारते कच्ची ईटो से बने ऊँचे-ऊँचे चबूतरों पर कड़ी की गई थी! इनमे से एक ईमारत मोहनजोदड़ो का प्रसिद्ध 'विशाल स्नान कुंड' है! इस कुए में निचे जाने के लिए दोनों तरग से सीढियाँ है! कुंड के तल को डोमर से जलरोधी बनाया गया था! इसके लिए पानी पास ही एक एक कच्छ में बने बड़े कुए से आता था!पानी निकलने के लिए भी एक ढलवा नाली थी कुंड के चारो तारफ मंडप और कमरे बने हुए थे! विद्वानों का मत है की इस स्थान का उपयोग राजाओं या पुजारियों के धार्मिक स्नान के लिए किया जाता था!मोहनजोदड़ो के किले के टाइल में पाई गई एक और महत्वपूर्ण ईमारत है अन्नभंडार! इसमें ईटो से निर्मित सत्ताईस खंड है जिनमे प्रकाश के लिए आड़े-तिरछे रोशनदान बने हुए है! अन्नभंडार के लिए ऊपर पहुंचाया जाता था! हालांकि कुछ विद्वानों ने इस ईमारत को एना-भंडारण का स्थान मैंने का संदेह व्यक्त करते है! किन्तु इतना निश्चित है की इस इमारत का निर्माण किसी ख़ा

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का छेत्र हड़प्पा सभ्यता का केंद्र बिंदु रहा होगा hadappa sabhyata ka bhaugolik vishtaar ancient encyclopedia

    हड़प्पा सभ्यता का भौगोलिक विस्तार हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का छेत्र हड़प्पा सभ्यता का केंद्र बिंदु रहा होगा! क्योकि हड़प्पा सभ्यता की अधिकांश बस्तियां इसी छेत्र में है! इस पुरे छेत्र की भूमि समतल और सपाट है जो यह बताती है की यहां की जीवन-यापन की तरीके एक जैसे थे! हिमालय से पिघली बर्फ और मानसून की वर्षा से यहाँ आने वाली बाढ़ के श्वरूप का पता लगता है! इससे एक जैसी ही खेती और चरागाही के लिए संभावनाए पैदा हुई होंगी! सिंधु व्यवस्था के पश्चिम में काछी मैदान ईरानी सिमा-भूमि के अंतरवर्ती छेत्र में स्थित है! यह समतल कछारी हिमानी घाट जो बोलन दर्रे और मंचाल झील के निचले भाग में स्थित है! यह बंजर और शुष्क प्रदेश है हरियाली कही-कही बाह्य इलाके में नजर आती है! नोशारो जुड़ैरजुङो और अली-मुराद जैसे स्थान इसी छेत्र में स्थित है! मकरान तात पर सुटका कोह और सुटकाफिंडोर बस्तियां बलूचिस्तान के पहाड़ी छेत्र के सबसे अधिक शुष्क भाग है! वे हड़प्पा-सभ्यता की पश्चिमी-सभ्यता सीमाएं है! हड़प्पा सभ्यता की पूर्वी सीमाओं पर बड़गाओं मानपुर और आलमगीरपुर जैसी बस्तियां थी! यह इलाका अब उत्तर प्रदेश में है! गंगा-यमुना दोआब में

मोर्टिमर व्हीलर और स्टुआर्ट पिगत जैसे पुरातत्विदों का मत था की हड़प्पा-सभयता के नगरों की संरचना और बनावट में असाधारण प्रकार की एकरूपता थी Hadapaa sabhyata ki nagar yojna नगर-योजना ancient history

                          नगरयोजना  मोर्टिमर व्हीलर और स्टुआर्ट पिगत जैसे पुरातत्विदों का मत था की हड़प्पा-सभयता के नगरों की संरचना और बनावट में असाधारण प्रकार की एकरूपता थी| प्रत्येक नगर दो भागो में बता होता था! एक भाग में ऊँचा दुर्ग होता था जिसमे शाशक और राजघराने के लोग रहते थे! नगर के दूसरे में शाषित और गरीब लोग रहते थे! योजना का अभिनता का अर्थ यह भी है की यदि आप हड़प्पा की सड़को पर घूमने निकले तो आप पाएंगे की वहां की घर मंदिर खलिहान ार गालिया बिकुल वैसी हैं जैसी मोहनजोदड़ो की या हडप्प्पा-सभ्यता की अन्य किसी भी नगर की! संकल्पना की अभिन्नता का यह विचार उन विदेशी समुदायों से लिया गया था जिन्होंने अकस्मात् हमला करके सिंधु घाटी को जीत लिया और नए नगरों का निर्माण किया ! इन नगरों की योजना ऐसी की गयी थी जिसमे की वहां के मूल निवासियों को शाशकुअरग से अलग रखा जा सके! इस तरह शाशकों ने ऐसे किलों का निर्माण किया जिनमे वे आम जनता से अलग-थलग शान से रह सके! आजकल विद्वान अब इन विचारों को अष्विकार कर रहे है! की हड़प्पा सभ्यता के नगरों का निर्माण अकस्मात् हुआ और उनकी योजना में एकरूपता थी! हड़प्पा सभयता

उत्तरी राजस्थान की कालीबन्गन स्थान पर आरम्भिक हड़प्पा काल की प्रमाण मिले हैं Kalibangan ancient encyclopedia

कालीबंगन उत्तरी राजस्थान की कालीबन्गन स्थान पर आरम्भिक हड़प्पा काल की प्रमाण मिले हैं! यहां पर लोग कच्ची ईटो के मकानों में रहते थे! इन कच्ची ितों का मानक आकार होता था! वे बस्ती के चारो तरफ दीवारी भी बनाते थे! उन लोगों द्वारा प्रयुक्त मिटटी के बर्तनो के आकार और डिजाइन से अलग था! फिर भी मिटटी के कुछ बर्तन कोटदीजी में पाए गए मिटटी के बर्तनो से मिलते थे! बलि स्तम्भ जैसे मिटटी के बर्तनो के कुछ नमूनों का प्रयोग शहरी चरण के दौरान जारी रहा! इसके अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण खोज थी जुते हुए खेत का तल! इससे सिद्ध होता है की उस समय भी किसान हल के बारे में पहले से ही जानते थे! पुराने हालात में किसान केवल बीज चित्रकार बो सकते थे! या खेतों के खुदाई के लिए फावड़े कुंडली का प्रयोग करते थे! हल से कोई भी व्यक्ति बहुत काम मेहनत से अधिक गहरी खुदाई कर सकता है! इसलिए इसे खेती का उन्नत औजार समझा जाता है जिसमे खाद्य उत्पादन को बढ़ने की शक्ति है!  घग्गर नदी जो भारत में सुखी तलहटी में आरंभिक हड़प्पा की अनेक बस्तियां पाई गयी हैं! ये बस्तियां उन जलमार्गों के पास पासी गयी हियँ जो अब विलुप्त हो गए है! सोथी बाड़ा और सीसवाल

पस्चिमी पंजाब में हड़प्पा प्रसिद्ध है! एक खुदाई के दौरान शहरीकरण की अवस्था से पहले की बस्तियों की खोज की गयी Panjab aur Bahawalpur ancient encyclopedia

                   पंजाब और बहावलपुर पस्चिमी पंजाब में हड़प्पा प्रसिद्ध है! एक खुदाई के दौरान शहरीकरण की अवस्था से पहले की बस्तियों की खोज की गयी! दुर्भांग्यावश अभी तक उनकी खुदाई नहीं हुई है! यहां पाए गैमित्ति के बर्तनों के सामान हैं! विद्वानों का विचार है की ये बस्तिया हड़प्पा में आरंभिक हड़प्पा काल की रही होंगी! बहावलपुर छेत्र में हाकरा नदी की सुखी तलहटी में आरंभिक हड़प्पा काल के लगभग 40 स्थानों का पता लगाया गया है! कोटदीजी में पाए गए मिटटी के बर्तनो से यहां पर भी आरंभिक हड़प्पा सभ्यता का पता चलता है! इन स्थानों का बस्ती के रूप में स्वरुप के तुलनात्मक विश्लेषण से यह ज्ञात होता है के आरंभिक हड़प्पा काल में कई प्रकार के मकान बन गए थे! जबकि कई स्थानों में तो साधारण गांव ही थे और उनमे से कुछा स्थानों में विशिष्ट औधोगिक कार्य हो रहे थे! इसलिए हम देखते है की अधिकतर स्थानों का औसत आकार लगभग पांच से छ: एकड़ और गमनवाला 27.3 हेक्टेयर छेत्र में फैला है! इसका अर्थ यह हुआ की गमनवाला कालीबंगन के हड़प्पा उपनगर से बड़ा था! इन उपनगरों में कृषि के अतिरिक्त अवश्य ही प्रशाशनिक और औधोगिक होते होंगे!           

चौथी सताब्दी ईशा पूर्व के मध्य तक सिंधु के कचहरी मैदान परिवर्तन का केंद्र बिंदु बन गए Sindhu chhetra ancient encyclopedia

                                          सिंधु छेत्र चौथी सताब्दी ईशा पूर्व के मध्य तक सिंधु के कचहरी मैदान परिवर्तन का केंद्र बिंदु बन गए! सिंधु नदी और घग्गर-हाकरा नदियों के किनारों पपर बहुत सी छोटी और बड़ी बस्तियां बस गयी! यह छेत्र हड़प्पा की सभ्यता का मुख्य छेत्र बन गया! इस चर्चा में हम यह बताने का प्रयास करेंगे की किस प्रकार इन घटनाओं से हड़प्पा की अनेक विशेषताओं का पता चला! १ . आमरी -  सिन्धु घाटी के निचले मैदानों के सामान सिंधु प्रान्त के विकास का पता चलता है! आमरी में मिले मकानों के अवशेषों से पता चलता की लोग पत्थर और मिटटी की ीेटों के मकानों में रहते थे! उन्होंने अनाज को रखने के लिए अनाज के कोठार(अन्नागार) भी बनाए थें!वे मिटटी के बर्तनो पर भारतीय कुबड़े बैलों जैसे जानवरों के चित्र बनाते थे! यह चित्र पूर्ण विकसित हड़प्पा काल में बहुत लोकप्रिय था! वे चाक पर बने मिटटी के बर्तनों का भी प्रयोग करते थे! थारो और लोहरस बूठि जैसे स्थानों से भी ऐसी ही वस्तुएं पाई गयी! यहां पर हड़प्पा की सभ्यता के शुरू होने से पहले ही उन्होंने अपनी बस्तियों की किलेबंदी कर ली था! 2 . कोटदीजी - मोहनज