पस्चिमी पंजाब में हड़प्पा प्रसिद्ध है! एक खुदाई के दौरान शहरीकरण की अवस्था से पहले की बस्तियों की खोज की गयी Panjab aur Bahawalpur ancient encyclopedia
पंजाब और बहावलपुर
पस्चिमी पंजाब में हड़प्पा प्रसिद्ध है! एक खुदाई के दौरान शहरीकरण की अवस्था से पहले की बस्तियों की खोज की गयी! दुर्भांग्यावश अभी तक उनकी खुदाई नहीं हुई है! यहां पाए गैमित्ति के बर्तनों के सामान हैं! विद्वानों का विचार है की ये बस्तिया हड़प्पा में आरंभिक हड़प्पा काल की रही होंगी! बहावलपुर छेत्र में हाकरा नदी की सुखी तलहटी में आरंभिक हड़प्पा काल के लगभग 40 स्थानों का पता लगाया गया है! कोटदीजी में पाए गए मिटटी के बर्तनो से यहां पर भी आरंभिक हड़प्पा सभ्यता का पता चलता है! इन स्थानों का बस्ती के रूप में स्वरुप के तुलनात्मक विश्लेषण से यह ज्ञात होता है के आरंभिक हड़प्पा काल में कई प्रकार के मकान बन गए थे! जबकि कई स्थानों में तो साधारण गांव ही थे और उनमे से कुछा स्थानों में विशिष्ट औधोगिक कार्य हो रहे थे! इसलिए हम देखते है की अधिकतर स्थानों का औसत आकार लगभग पांच से छ: एकड़ और गमनवाला 27.3 हेक्टेयर छेत्र में फैला है! इसका अर्थ यह हुआ की गमनवाला कालीबंगन के हड़प्पा उपनगर से बड़ा था! इन उपनगरों में कृषि के अतिरिक्त अवश्य ही प्रशाशनिक और औधोगिक होते होंगे!
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पस्चिमी पंजाब में हड़प्पा प्रसिद्ध है! एक खुदाई के दौरान शहरीकरण की अवस्था से पहले की बस्तियों की खोज की गयी! दुर्भांग्यावश अभी तक उनकी खुदाई नहीं हुई है! यहां पाए गैमित्ति के बर्तनों के सामान हैं! विद्वानों का विचार है की ये बस्तिया हड़प्पा में आरंभिक हड़प्पा काल की रही होंगी! बहावलपुर छेत्र में हाकरा नदी की सुखी तलहटी में आरंभिक हड़प्पा काल के लगभग 40 स्थानों का पता लगाया गया है! कोटदीजी में पाए गए मिटटी के बर्तनो से यहां पर भी आरंभिक हड़प्पा सभ्यता का पता चलता है! इन स्थानों का बस्ती के रूप में स्वरुप के तुलनात्मक विश्लेषण से यह ज्ञात होता है के आरंभिक हड़प्पा काल में कई प्रकार के मकान बन गए थे! जबकि कई स्थानों में तो साधारण गांव ही थे और उनमे से कुछा स्थानों में विशिष्ट औधोगिक कार्य हो रहे थे! इसलिए हम देखते है की अधिकतर स्थानों का औसत आकार लगभग पांच से छ: एकड़ और गमनवाला 27.3 हेक्टेयर छेत्र में फैला है! इसका अर्थ यह हुआ की गमनवाला कालीबंगन के हड़प्पा उपनगर से बड़ा था! इन उपनगरों में कृषि के अतिरिक्त अवश्य ही प्रशाशनिक और औधोगिक होते होंगे!
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