प्रारंभिक समाज इन हिस्ट्री / प्राचीन समाज का इतिहास




            हड़प्पा की सभ्यता का युग:-


पुरातत्वेत्ता यह पता लगाने के लिए की ये बस्तियां कितनी पुराणी है अलग-अलग तरीके अपनाते है! अब हम मार्शल के उस मत की जाँच करेंगे जिसमे उन्होंने बताया है की हड़प्पा की सभयता पांच हजार वर्ष पुराणी है! कनिंघम इस सभ्यता को 1 हजार वर्ष पुराणी मानते है! मार्शल में पता लगाया की हड़प्पा में मिली मुहरें ठप्पे लिखित लिपि और कलाकृतियां उनसे भिन्न थी जिनसे विद्वान पहले से परिचित थे औरजो बहुत बाद के समय की थी! इसी प्रकार सिंध में मोहनजोदड़ो नामक स्थान से इसी प्रकार के तथ्य सामने आए है!मोहनजोदड़ो में प्राचीन बस्तियां कुषाण युग से सम्बंधित बौद्ध बिहार के निचे दबी हुई पाई गयी! यह पाया गया की यदि प्राचीन काल में कोई मकान किसी कारणवश नष्ट हो जाता था तो लोग आमतौरपर उस मकान की ीत और गारे का चबूतरा तैयार करने के लिए प्रयोग करते थे और उस पर दूसरा मकान बनाते थे! इसलिए यदि कोई पुरातत्वेत्ता किसी छेत्र की खुदाई करता है और निचे वाला मकान ऊपर वाले मकान से पुराण है! इसलिए वह जितनी गहरी खुदाई करता है कालक्रम की दृष्टि से वह उतना ही पिक्सहे पहुँच जात है!

(4400 ईशा पूर्व से 3500 ईशा पूर्व तक नवपशां युग) 
बलूचिस्तान और सिंधु के मैदानी भागों में स्तित मेहरगढ़ और फिलि गुलमोहम्मद जैसी बस्तियां उभरी! यहाँ लोग पशु चराने के साथ-साथ थोड़ा बहुत खेती का काम भी करते थे! इस प्रकार स्थाई गावों का उद्भव हुआ! इस उग के लोग गेहू जो खजूर तथा कपास की खेती की जानकारी रखते थे और भेद बकरियों और मवेशियों को पालते! सछ्या के रूप में के मकान मिटटी के बर्तन और और दस्तकारी की वस्तुए मिली है!

3500 ईशा पूर्व से 2600eesha पूर्व तक आरंभिक हड़प्पा काल
इस काल में पहाड़ो और मैदानों में बहुत सी बस्तियां स्थापित हुई! इसी समय गांव सबसे अधिक संख्या में आबाद हुए! ताम्बा चाक और हल का प्रयोग कर कई प्रकार के मिटटी के अद्भुत बर्तन बनाए जाते थे जिससे कई छेत्रिय परम्पराओ के आरम्भ का पता चलता है! एना भण्डार ऊँची-ऊँची दीवारें और सुदूर व्यापार के प्रमाण मिले हैं! इसके साथ-साथ पीपल कुबड़े बैलों शेषनागों सिंगदार देवता आदि के रूपांकनों के प्रयोग के प्रमाण मिले है!

2600 ईशा पूर्व से 1800 ईशा पूर्व तक पूर्ण विकसित हड़प्पा युग
बड़े शहरों का अभ्युदय सामान आकर की ीते तोलने के बात मुहरे और मिटटी के बर्तन नियोजित ढंग से बेस हुआ शहर और दूर-सुर स्थानों के साथ व्यापार!

1800 ईशा पूर्व से आगे उत्तर हड़प्पा युग
हड़प्पा की सभ्यता के बहुत से शहर खाली हो गए अंतर-छेत्रिय विनिमय में ह्रास हुआ लेखन कार्य और शहरी जीवन का त्याग कर दिया गया! हडप्प्पा की सभ्यता के शिल्प और मिटटी के बर्तनो की परम्परा जारी रहे! पंजाब सतलुज यमुना की गर्मीं संस्कृतियो का विभाजन और गुजरात में हड़प्पा की शिल्प और मिटटी के बर्तनो की परम्पराओं का अपनाया जाना!

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