बलूचिस्तान मध्य और दच्छिनी बलूचिस्तान में अंजीर तोगाऊ निंदावादी और बालाकोट जैसी बस्तियां हमें आरंभिक हड़प्पा सभयता के समाजो की जानकारी देती है Madhya aur dachchhini Rajasthan indian history

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                                        मध्य और दच्छिनी बलूचिस्तान
मध्य और दच्छिनी बलूचिस्तान में अंजीर तोगाऊ निंदावादी और बालाकोट जैसी बस्तियां हमें आरंभिक हड़प्पा सभयता के समाजो की जानकारी देती है! घाटी की व्यवस्था के अनुसार गांव और उपनगर विकसित हुए! बालाकोट में विशाल इमारतों के अवशेष पाए गए हैं! इस छेत्र की कई बस्तियों से फारस की कड़ी से संपर्क का पता चलता है!
बालाकोट में जो लोग सबसे पहले बेस उसी प्रकार के मिटटी के बर्तनों का प्रयोग करते थें! जिस प्रकार के मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग बलूचिस्तान के समकालीन गाओं के लोग करते थे किन्तु कुछ समस्य पश्चात उन्होंने सिंधु नदी के कचहरी मैदान में प्रयुक्त किए जाने वाले मिटटी के बर्तनो के सामान ही मिटटी के बर्तनों का प्रयोग करना भी आरम्भ कर दिया था!
हमारे लिए महत्वपूर्ण बार यह है की सम्पूर्ण बलूचिस्तान प्रान्त के लोग एक ही प्रकार के मिटटी के बर्तनों का प्रयोग करते थें! इस प्रकार उन पर एक ओर पारस की कड़ी के नगरों का तथा दूसरी ओर सिंधु घाटी के नगरों का प्रभावों का पता चलता है! वे अपने मिटटी के बर्तनों पर कुबड़े बैल और पीपल के चिन्हों का प्रयोग करते थे जो विकसित हड़प्पा काल में भी जारी रहा!

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