गौरी द्वारा 1192ई से 1206ई तक किए गए आक्रमण?



तराईन का युद्ध भारत के इतिहास में निर्णायक साबित हुआ! इसने तुर्की सत्ता की स्थापन एके मार्ग को प्रशस्त कर दिया! ठीक इसी समय से राजपूत शक्ति के अपरिवर्तनीय पतन के युग का भी सूत्रपात हो गया! कुछ समय के लिए गौरी वाश के लोगों ने सभी विजिट छेत्रों के प्रशासन को तुरंत अपने हांथों में लेना सुविधाजनक नहीं समझा जहां उन्हें उचित लगा उन्होंने राजपूतों की सत्ता को जारी रहने दिया' अगर ऊनके द्वारा तुर्की सत्ता के प्रभुत्व को स्वीकार कर लिया गया! उदाहरण के तौर पर अजमेर का शासन पृथिवीराज चौहान के पुत्र को सामंत के रूप में सौंप दिया गया! यद्धपि यह जटिल संतुलन स्थानीय शासकों एवं गौर वाश के शासकों के साम्राज्य विस्तार की योजना के मध्य संघर्ष के कारण भंग होता रहता था!

कुतुबुद्दीन ऐबक के नेतृत्व में तुर्कों ने अपने राज्य का सभी दिशाओं में छत्रिय विस्तार किया! 1192ई के अंत में हांसी की किलेबंदी करने के बाद वबक ने यमुना नदी के पार ऊपरी दोआब में सैनिक केंद्रों को स्थापित किया! मेरठ एवं बार्न(आधुनिक बुलंदशहर) पर 1192ई कब्ज़ा कर लिया गया! 1193ई में दिल्ली भी उनके अधिकार में आ गयी! दिल्ली की स्थिति तथा उसकी वटिहासिक परम्परा के कारण तुर्कों ने उसे अपनी राजधानी बनाया! जहां एक ओर यह शक्ति के केंद्र पंजाब के पड़ोस में स्थित था वहीँ यह पूर्व की ओर अभ्यानों को संचालित काने के लिए भी एक सुधाजनक केंद्र था! 1194ई में कुतुबुद्दीन ऐबक ने एक बार फिर यमुना नदी को पार किया और कॉल(अलीगढ) पर नियंत्रण कर लिया! 


मोहम्मद गौरी ने उपरोक्त सैनिक सफलताओं से उत्साहित होकर गहढ़वाल वाश के राजा जयचंद पर चन्द्रवारसद(एटा और कानपुर के मध्य) में आक्रमण किया! जयचंद अकस्मात पराजित हो गया! इसके बाद चेकों ने अपने सैनिक अड्डों को बनारस असनी जैसे महत्वपूर्ण नगरों में स्थापित किया! लेकिनराजधानी कन्नौज पर 1198-1199ई तक अधिकार न किया जा सका! 


बयाना ग्वालियर एवं अन्हिलवाड़ जैसे अन्य महत्वपूर्ण छेत्रों पर तुर्कों का 11195-1198ई तक अधिकार हो गया! बदायूं को 1197-1198ई में नियंत्रण में लिया गया! 13वी सदी ई. के प्रारम्भ में 'अंतिम राजपूत साम्राज्य' बुंदेलखंड के चन्देलों के विरुद्ध लगभग 1202 में सैनिक अभियान भएका गया! कालिंजर महोबा एवं खजुराहों पर नियंत्रण कर लिया गया और उनको एक सैनिक मंडल के अधीन समूहीकृत कर दिया! 


सन् 1203 से तुर्कों ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी प्रादेखापर लगातार सफलतापूर्वक आक्रमण किए! मगध को बख्तियार खिलजी ने सल्तनत के लिए विजिट किया! उसके अधीन तुर्की सेनाओं ने बंगाल राज्य के अंदर भी प्रवेश किया जिसपर उस समय लछमन वाश का शासन था! 


सामान्य टूर पर इस काल मेगौरियों ने अपने प्रभाव छेत्र को उत्तरी भारत को काफी बड़े भू-भाग पर कायम कर दिया था! लेकिन अभी भी इस प्रभाव छेत्र का आधार अस्ताहिर ही था! जिन छेत्रों को विजिट कर लिया गया था वे नियंत्रण से मुक्त होने की लिए प्रयासरत थे! इन इन छेत्रों पर स्थाई नियंत्रण करने के लिए आगामी कई दशक लगे!

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