भारत और पाकिस्‍तान का बंटवारा कैसे हुआ?

 

15 th Agust वो दिन जब हम याद करते हैं तो हम भारतीयो के आखों में खुशी के ऑंसु आ जाते हैं! क्योकि वो दिन हम भारतीयो के लिए धुष्ट अंग्रेजो से अपना देश अपनी स्वतंत्रता छीन कर आजादी लेने का दिन था! और हमारे स्वतंत्रता सेनानियो ने अपनी जान पर खेलकर ये दिन छीन लिया हैं! और हम भारतीययों को गुलामी से आजादी दिलाई! लेकिन ये संभव कैसे हुआ --
तोद्वितीय विश्‍व युद्ध समाप्‍त होने पर ब्रिटिश प्रधान मंत्री क्‍लेमेंट रिचर्ड एटली के नेतृत्‍व में लेबर पार्टी शासन में आई। लेबर पार्टी आजादी के लिए भारतीय नागरिकों के प्रति सहानुभूति की भावना रखती थी। मार्च 1946 में एक केबिनैट कमीशन भारत भेजा गया, जिसके बाद भारतीय राजनैतिक परिदृश्‍य का सावधानीपूर्वक अध्‍ययन किया गया, एक अंतरिम सरकार के निर्माण का प्रस्‍ताव दिया गया और एक प्रां‍तीय विधान द्वारा निर्वाचित सदस्‍यों और भारतीय राज्‍यों के मनोनीत व्‍यक्तियों को लेकर संघठन सभा का गठन किया गया। जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्‍व ने एक अंतरिम सरकार का निर्माण किया गया। जबकि मुस्लिम लीग ने संघठन सभा के विचार विमर्श में शामिल होने से मना कर दिया और पाकिस्‍तान के लिए एक अलग राज्‍य बनाने में दबाव डाला। लॉर्ड माउंटबेटन, भारत के वाइसराय ने भारत और पाकिस्‍तान के रूप में भारत के विभाजन की एक योजना प्रस्‍तुत की और तब भारतीय नेताओं के सामने इस विभाजन को स्‍वीकार करने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं था, क्‍योंकि मुस्लिम लीग अपनी बात पर अड़ी हुई थी।
इस प्रकार 14 अगस्‍त 1947 की मध्‍य रात्रि को भारत आजाद हुआ! तब से हर वर्ष भारत में 15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। जवाहर लाल नेहरू स्‍वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और 1964 तक उनका कार्यकाल जारी रहा। राष्‍ट्र की भावनाओं को स्‍वर देते हुए प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा,
कई वर्ष पहले हमने नियति के साथ निश्चित किया और अब वह समय आ गया है जब हम अपनी शपथ दोबारा लेंगे, समग्रता से नहीं या पूर्ण रूप से नहीं बल्कि अत्‍यंत भरपूर रूप से। मध्‍य रात्रि को जब दुनिया सो रही होगी हिन्‍दुस्‍तान जीवन और आजादी के लिए जाग उठेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में अनोखा पल आया, जब हम अपने जंजीर से निकल कर  स्वतंत्रतापूर्ण कदम रखेंगे, जब एक युग की समाप्ति होगी और जब राष्‍ट्र की आत्‍मा लंबे समय तक दमित रहने के बाद अपनी आवाज पा सकेगा। हम आज दुर्भाग्‍य का एक युग समाप्‍त कर रहे हैं और भारत अपनी दोबारा खोज आरंभ कर रहा है। 
पहले, संघठन सभा का गठन भारतीय संविधान को रूपरेखा देना के लिए जुलाई 1946 में किया गया था और डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद को इसका राष्‍ट्रपति निर्वाचित किया गया था। भारतीय संविधान, जिसे 26 नवम्‍बर 1949 को संघटक सभा द्वारा अपनाया गया था। 26 जनवरी 1950 को यह संविधान प्रभावी हुआ और डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्‍ट्रपति चुना गया।


जय हिंद        जय भारत 

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