उपनिवेशवाद क्या है? और उपनिवेशवाद का क्या अर्थ है?


उपनिवेशवाद का क्या अर्थ है? क्या यह एक देश द्वारा दूसरे देश पर केवल राजनितिक नियंत्रण है या यह एक देश द्वारा दूसरे देश के आर्थिक दमन की प्रक्रिया को भी निर्दिष्ट करता है? उपनिवेशवाद की व्याख्या विभिन्न विद्वान भिन्न-भिन्न प्रकार से करते हैं? इस पोस्ट में हम उपनिवेशवाद के विभिन्न दृष्टिकोणों तथा साथ ही अन्य सम्बंधित पहलुओं से आपका परिचय करेंगें!

1) बड़ी संख्या में समाजशाडहतरियों राजनितिक वैज्ञानिकों व अर्थशास्त्रियों द्वारा यह विचार प्रस्तुत किया जाता है की औपनिवेशिक समाज मूल रूप से एक परम्परागत समाज था या दूसरे शब्दों में उपनिवेशवाद ने पूर्वे-औपनिवेशिक समाज के मूल सामाजिक-आर्थिक तत्वों को बने रखा! उत्तर-औपनिवेशिक परम्परागत सामाजिक-आर्थिक ढाँचे से आधुनिकीकरण की तरफ बढ़ाने लगा! २)तथापि कुछ उपनिवेशवाद को एक ऐसे परिवर्ती समाज के रूप में देखते हैं जो की आर्थिक सामाजिक व रानीतिक रूप से सेक परम्परागत व पूर्व-औपनिवेशिक समाज से आधुनिक पूंजीवादी समाज में परिवर्तित हो रहा था! 


2)तथापि अन्य कई लेखकों का मानना है की उपनिवेशवाद एक दोहरा समाज प्रस्तुत करता जिसमे एक छत्र आधुनिक व पूंजीवादी है जबकि दूसरे छेत्र व पूर्व-पूंजीवादी! दोनों छेत्र साथ-साथ विधमान रहते है तथा दोनों ही इतने मजबूत नहीं होते की एक दूसरे को दबा सके या हटा सके! कुछ लेखकों ने दोहरे स्वरुप के अधिक उग्रवादी व्याख्या का अनुसरण किया है! उनके अनुसार उपनिवेशवाद आधुनिकीकरण का कार्य प्रारम्भ करता है! परन्तु बिच मार्ग में ही छोड़ देने की कारण इसे पूरा करने में असफल होता है! यह औपनिवेशिक अर्थव्यवस्थ व समाज के 'अवरुद्ध विकास' का कारण बनता है! इसीलिए कृषि की अर्ध-सामनातवादी विशेषताएं पूर्व-औपनिवेशिक काल की अवशेष मानी जाती है! उपनिवेशवाद इन अर्ध-सामंतवादी लांछनों को पोषित काने या काम से काम उनको उखाड़ फेकने में असफल होने का दोषी पाया जाता है! 


3) बहुत से लेखक उपनिवेशवाद को राजनितिक प्रभुत्व अथवा वैसेही राजनितिक शासकों से अधिक कुछ नहीं मानते! व्यक्तिगत औपनिवेशिक प्रशासकों द्वारा अनुसरण की गई नीतियों की कमजोरियां ही उपनिवेशवाद की कमजोरियां जानी जाती हैं! 


उपनिवेशवाद की विशेषताएँ --

आप उपनिवेशवाद की महत्वपूर्ण विशेषताओं को जानना चाहेंगें: मुख्य रूप से उपनिवेशवाद की दो विशेषताएँ है!

1) एक मैट्रोपोलिस(महानगरीय) अथवा साम्राज्य्वादी शक्ति की आवश्यकताओं के अनुसार उपनिवेश 

का अधीनस्थ होना!
२) दूसरा उपनिवेश का आर्थिक शोषण अथवा महानगर के आर्थिक अतिरेक का विनियोग!

उपनिवेश में आर्थिक अतिरेक विभिन्न तरीकों से उत्पन्न किया जाता है! परम्परागत कृषि से आधुनिक खान व फैक्ट्री उत्पादन स्थापित आदि करके! परन्तु साम्राज्य्वादी देश के विभिन्न वर्गों द्वारा इस अतिरेक का विनियोग ही उपनिवेशवाद का मूल है! अधीनस्थ होने का अर्थ है की उपनिवेश के आर्थिक सामाजिक व राजनीतक विकास के मूल विषय उपनिवेश की स्वे की आवध्यकताओं के अनुसार निर्धारित न होकर महानगरीय अर्थव्यवस्थ व महानगरीय पूंजीवादी वर्ग की आवश्यकताओं व इच्छाओं के अनुसार निर्धारित किए जाते हैं! 

इस प्रकार उपनिवेशवाद सिर्फ राजनितिक नियंत्रण व औपनिवेशिक नीतियां ही नहीं हैं बल्कि कुछ और भी है! इससे संरचना के रूप में मन जाता है! औपनिवेशिक हिट व नीतियां औपनिवेशिक राज्य व प्रशासकीय संस्थाएं ाउनिवेषिक संस्क्रति व समाज औपनिवेशिक विचार व विचारधाराएं ये सभी औपनिवेशिक ढाँचे के भीतर ही कार्य करते हैं! 

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