संगठित सूफ़ी आंदोलन का विकास (10वीं-12वीं शताब्दी) कैसे हुआ -Takeknowledge

  
10वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध और 11वीं शताब्दी के दौरान जब मध्य एशिया और ईरान में पहले गजनवियों और बाद में सेलजुकों के अधीन तुर्की शासन कायम हुआ तब सुफी मत एक संगठित आंदोलन के रूप में विकसित हुआ । इस काल के दौरान इस्लामी दुनिया में दो समानांतर संस्थाओं का विकास हुआ। 
(क) मदरसा व्यवस्था (धार्मिक शिक्षा का उच्च संस्थान) यह कट्टरपंथी इस्लामी शिक्षा की मान्य संस्था थी,

और (ख) सूफ़ी गतिविधियों के संगठित और स्थायी केन्द्र के रूप में खानकाह व्यवस्था का नया स्वरूप सामने आया।

खानकाह अब सूफियों की व्यक्तिगत गतिविधि का केन्द्र न रहकर सूफ़ी शिक्षा के संस्थागत केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आई। पर गुरू और शिष्य का संबंध अभी भी व्यक्तिगत था और इसने अब तक रहस्यमय और आनुष्ठानिक स्वरूप अख्तियार नहीं किया था। अभी सूफ़ी संप्रदाय सही ढ़ग से आकार नहीं ग्रहण कर सका था। पर खानकाहों का स्वरूप बदल चुका था। अब ये सूफ़ियो के आश्रय स्थल मात्र न थे बल्कि सूफ़ी मत और मान्यताओं के सुस्थापित केन्द्र थे। इसमें एक आध्यात्मिक गुरु अपने शिष्यों के साथ रहा करता था।

उलेमा सूफ़ी मत को हमेशा संदेह की नज़र से देखते थे। उन्हें वारा समाजारपदा प्रथाओं से सख्त नफरत थी। कट्टरपंथी इस्लामी शिक्षा प्राप्त कुछ सूफ़िया न उलेमा और सूफ़ियों के बीच एक प्रकार का संतुलन स्थापित करने की कोशिश की। अबू हमीद अल-गज़ाली (1059-1111 ई.) इस प्रकार के सूफ़ियों में सर्वप्रमुख था। आरंभ में वह आलिम (धर्म प्रवक्ता) था, पर बाद में उसने  सूफी की जिंदगी बसर की। उसने सूफ़ी मत में बाह्य इस्लामी कानूनों का और औपचारिक सिद्धान्त का पालन करने पर जोर दिया। पर इस्लाम में कट्टरपंथी और सूफ़ी मत की प्रवृत्तियाँ अलग-अलग रास्तों पर विकसित हुई।

इस दौर में सूफ़ी साहित्यिक ग्रंथ रचे गये। इनमें सूफ़ी विचारों और सिद्धांत का सूत्रबद्ध किया गया। अल गज़ाली सर्वप्रमुख सूफ़ी लेखक था। अल हुजविरि (मृ. 1088) ने  कश्फउल महजूब की रचन की। इसे सूफी मत का प्रामाणिक और मान्य ग्रंथ माना जाता है।

इस काल में सूफ़ी मत की एक अन्य विषेशता फ़ारसी में लिखित कविताओं विकास हुआ! अरबी का रहस्यात्मक साहित्य गद्यात्मक था, और फ़ारसी साहित्य पद्यात्मक । बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी के दौरान फारसी भाष में लिखित वर्णनात्मक कविताएँ (मसनवी) अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयीं। फरीदुद्दीन अत्तार (मृ. 1220) और जलालुद्दीन रूमी (मृ.1273) इस के प्रमुख प्रतिपादक थे ।


Comments

Popular posts from this blog

भोजन और उसके कार्य Food and its functions

मैसूर और हैदराबाद राज्य निर्माण की प्रक्रिया

चिश्ती सिलसिले की लोकप्रियता के मुख्य कारण 'Takeknowledge