कैसे पत्रकारों ने प्रथम विश्व युद्ध में अपने भड़काऊ समाचार के जरिये देशो के बिच कैसे आक्रोश पैदा किये गए थे!
समाचार पात्र प्रेस एवं जनमत- प्रथम विश्व युद्ध का एक अन्य मुख्य कारण पुरे यूरोप में समाचार पत्रों द्वारा जनमत को प्रदूषित करना था! समाचार पत्र अक्सर विदेशों की स्थिति को तोड़-मरोड़ कर अपने देश के अंदर राष्ट्रवादी भावनाए उभरते थे! कई मौकों पर जबकि कठिन अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर शांतिपूर्ण समाधान संभव हो सकते थे! इन समाचार पत्रों के इस प्रकार के पत्रकारिता के कारण टकराव उत्पन्न हुआ और देशो के अंदर खतरनाक स्थिति बन या पैदा हो गई! मुख्य समाचार पत्र अक्सर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में परिणाम प्रस्तुत करने के उद्देश्य से आवश्यक रूप से आगे बढ़ जाते थे! 1870 में बिस्मार्क के इ.एम.अस तार को प्रकाशित करने के कारण पेरिस में अति राष्ट्रवादी जनमत को बढ़ावा मिला! और उसने फ्रेंको-प्रशियन युद्ध की संभावनाओं को प्रबल बना दिया! इससे स्पष्ट हो जाता है की यूरोपीय राजनैतिक में तनाव पैदा करने में प्रेस ने कितनी बड़ी भूमिका निभाए!
और यही आज हमारे देश भारत के मिडिया का हाल की हर बात को इस तरह डिबेट और समाचार के जरिए उछाल कर बोलती है की देश का आंतरिक माहौल खराब होता जा रहा है और कही न कही ये भी गृह युद्ध का संकेत देता दिख रहा है! परन्तु मिडिया को केवल अपने निव्ज़ चैनल का टी.आर.पी बढ़ाना है चाहे उससे देश में गृह हो या मोब्लिंकिंग जैसी घटना! लेकिन हम देशवाशियों के ये समझना चाहिए की हमें इस देश को बचाए रखना इसलिए हमें सतर्क रहना होगा हर गलत और भड़काऊ समाचार से! तभी तभी हम अपने देश का भविष्य अच्छा बना सकते!
और यही आज हमारे देश भारत के मिडिया का हाल की हर बात को इस तरह डिबेट और समाचार के जरिए उछाल कर बोलती है की देश का आंतरिक माहौल खराब होता जा रहा है और कही न कही ये भी गृह युद्ध का संकेत देता दिख रहा है! परन्तु मिडिया को केवल अपने निव्ज़ चैनल का टी.आर.पी बढ़ाना है चाहे उससे देश में गृह हो या मोब्लिंकिंग जैसी घटना! लेकिन हम देशवाशियों के ये समझना चाहिए की हमें इस देश को बचाए रखना इसलिए हमें सतर्क रहना होगा हर गलत और भड़काऊ समाचार से! तभी तभी हम अपने देश का भविष्य अच्छा बना सकते!
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