बहमनी साम्राज्य की केन्द्रीय एवं प्रांतीय प्रशासन -Takeknowledge

  बहमनी शासकों ने दिल्ली सल्तानों की प्रशासनिक व्यवस्था का अनकरण किया। शासन की बागडोर राजा के हाथों में थी और उसकी सहायता के लिए वकील, वजीर, बख्शी और काजी थे। इनके अलावा दबीर (सचिव), मुफ्ती (कानून की व्याख्या करने वाला), कोतवाल और मुहतसिब (जन-आचरण पर अंकश रखने वाले) होते थे। मनहियानों (जासूसों) को न केवल राज्य के हर भाग में नियक्त किया जाता था, बल्कि इस बात के प्रमाण है कि मोहम्मद के शासनकाल में उन्हें दिल्ली में भी नियुक्त किया गया। मुहम्मद ! के शासनकाल में बहमनी राज्य को चार तरफों या प्रांतों में बांटा गया, ये थे-दौलताबाद, बरार, बीदर और गलबर्गा। इन प्रान्तों में शासन का प्रमुख तरफदार कहलाता था। गुलबर्गा के महत्व को देखते हए केवल बहत ही विश्वासपात्र अमीरों की नियुक्ति वहाँ की जाती थी जिन्हें मीर नायब वायसराय) कहा जाता था-ये अन्य प्रांतों के राज्यपालों (तरफदारों) से भिन्न थे। कालांतर में राज्य की सीमाओं के विस्तार के साथ, महमूद मावां ने साम्राज्य को आठ प्रांतों में विभाजित किया। साम्राज्य के कुछ क्षेत्रों को सुल्तान द्वारा सीधे अपने नियंत्रण में (खासा-ए सुल्तानी) ले लिया गया।

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