बहमनी साम्राज्य की अर्थव्यवस्था -Takeknowledge
महमूद गावां ने भूमि की नियमित नाप के और गांवों व कस्बों की सीमाओं के निर्धारण के आदेश दिये। इस प्रकार इस क्षेत्र में उसे राजा टोडरमल का पर्वगामी माना जा सकता है। इन उपायों से राजकोष को बहुत लाभ हआ। प्रथम, साम्राज्य की आय निश्चित और अग्रिम रूप से ज्ञात हो गयी. द्वितीय, इसने अमीरों के भ्रष्टाचार को भी कुछ सीमा तक कम कर दिया, जिससे राज्य की आय में वृद्धि हुई। बहमनी राज्य में, वाणिज्य और व्यापार उन्नत अवस्था में था। एक रूसी यात्री निकितीन, जो 1469-74 के दौरान दक्खन में रहा बीदर में वाणिज्यक गतिविधियों के बारे में पर्याप्त सूचना देता है। उसके अनुसार प्रधानतः घोड़ों, वस्त्रों, रेशम और मिर्च का व्यापार होता था। उसका आगे कहना है कि शिखबालदिन पेरातिर और अलादिनान्द के एक बाजार में बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते थे वहाँ व्यापार दस दिनों तक जारी रहता था। वह बहमनी राज्य के सामुद्रिक-बंदरगाह मुस्तफाबाद-दभोल का एक वाणिज्य-केन्द्र के रूप में जिक्र करता है। दभाल न केवल भारतीय बल्कि अफ्रीकी बंदरगाहों से भी भली-भांति जुड़ा हुआ था। घोड़ों को अरब, खुरासान और तर्किस्तान से आयातित किया जाता था। वाणिज्य और व्यापार मुख्यतया हिंदू व्यापारियों के हाथ में था। कस्तूरी और फर (लोम) का आयात चीन से होता था।
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